86 वर्षीय अयोध्या निवासी महामहोपाध्याय वेदभाष्यकार डॉ (डी. लिट) देवीसहाय पाण्डेय 'दीप' जी सन 1960 से निरन्तर साहित्य सेवा करते आ रहे हैं। इनके द्वारा चारों वेदों के सभी मन्त्रों की शीर्षक सहित अन्वयपरक शब्दार्थ, हिन्दी अनुवाद व पद्यानुवाद किया गया है। एक व्यक्ति द्वारा चारों वेदों के सभी मन्त्रों का पद्यानुवाद सहित व्याख्या सम्भवतः विश्व संस्कृत जगत में पहली बार हुआ है। ऋग्वेद पांच खण्डों में व अथर्ववेद तीन खण्डों में चौखम्बा संस्कृत प्रतिष्ठान, नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित हो चुका है। शेष दो वेद प्रकाशनाधीन है। इसके अलावा डॉ पाण्डेय जी ने 30 से अधिक पुष्ट ग्रन्थों की भी रचना किया है। अभी भी लगभग 6-8 घण्टे तक नित्य साहित्य सृजन करते हैं। सभी वेद-मन्त्रों की सरलतम व्याख्या यूट्यूब चैनल के माध्यम से प्रस्तुत करने का विचार है। डॉ पाण्डेय जी की इच्छा है कि क्लिष्ट वेद-मन्त्रों को रामचरितमानस के चौपाइयों के समान सरल करके प्रस्तुत किया जाये। आशा है कि सभी सुधीजनों, वेदप्रेमियों व शोधार्थियों को लाभ मिलेगा। अगर कोई भी सुधारात्मक सुझाव हो तो उसका हार्दिक स्वागत है।
- मनीषचन्द्र पाण्डेय।
मो. न. 8700887520
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Негізгі бет Ved 1438 ☀️प्रेतात्मा से पितरलोक🌹दरिद्रता अभिशाप है☀️Rigved 10/154-156/1-5🏵️देव भावावृत व विश्वेदेवा
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