This is a tribute to the most fearless warrior ever born "वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप" we're trying to bust some myths about Haldighati war....
जय श्री राम 🚩🚩🚩
जय श्री कृष्णा ❤️❤️❤️
हर हर महादेव 🔱🔱🔱
जय महाराणा 🔥🔥🔥
जय राजपुताना 🚩🚩🚩
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Lyrics:
कहाँ से करूं मैं गुणगान शुरू
असंख्य वीरों ने इस माटी की शान बढ़ाई थी,
जब जब इस माटी पर आंख उठाई
तब तब शत्रु ने मुंह की खाई थी।
राजपूताना शान वंश सिसोदिया
मेवाड़ धरा की शान रहा,
भुलाया क्यों है उन वीरों को
जिन्होंने इस माटी का इतिहास गढ़ा।
रण में जो रणभेरी बजे
राजपूत शौर्य दिखलाता था,
सर मातृभूमि को भेंट हुआ
फिर भी धड़ तलवार चलाता था।
मेवाड़ी मिट्टी की शान है जो
हर देशभक्त का अभिमान है जो
राजपूती स्वाभिमान है जो
केसरिया बाने का सम्मान है जो
इस भगवे की आन है जो
मावड़ का वीर महान है जो
वीरों के दिलों में बसने वाला
एकलिंग दीवान है जो
मात्रभूमि को दिल में रखनेवालों के लिए
मनुष्य नहीं भगवान है जो।
आओ हम भी उस वीर की गाथा सुनकर
धन्य धन्य हो जाते है,
राजस्थानी माटी के कण-कण में जो रमा हुआ
उस महाराणा के दर्शन करके आते हैं।
भगवा आकाश था मंद हुआ काली रात में
मुगलिया सल्तनत का था अंधकार घना,
फिर घड़ी आई जब मेवाड़ी माटी ने
मुगलों का था बाप जणा।
कुंभलगढ़ में कोई गूंजी थी किलकारी
या शेर का का शावक कोई दहाड़ा था,
राणा उदयसिंह के घर जन्मे वही महाराणा
मुगलों को जिसने तलवारों से लताड़ा था।
कांपा था थर थर अकबर भय से
मेवाड़ का सिंह जब जागा था,
इसी महाराणा के दादा के भय से अकबर का दादा बाबर
भारत छोड़ कर भागा था।
80 घाव देह पर ले
मुगलों को रण में था काट रहा,
अदभुत वीर महाराणा सांगा
म्लेच्छों की देह को 100-100 टुकड़ों में था बांट रहा।
राणा सांगा का तेज ले जन्मे महाराणा
मातृभूमि की रक्षा का कार्य अभी भी जारी था,
जिस अकबर को महान हो कहते
महाराणा का भाला ही उससे भारी था।
दिल्ली में बैठा अकबर उस दिन
क्रोध से तिलमिलाया था,
जब महाराणा ने मुगलिया सल्तनत का
वर्चस्व लात मार ठुकराया था।
मुगलों का वर्चस्व स्वीकार जो लेते
तो मेवाड़ी शान वहीं पर खो जाती,
अरे राणा के जीते जी बोलो भला
राजपूती विधवा कैसे हो जाती।
जब अपनों ने शत्रु से संधि कर डाली
तो पर्वत सा स्वाभिमान राणा ने दिखलाया था,
जंगल में भीलों के संग में रहकर
खुद की नई सेना को बनाया था।
अरे स्वाभिमान की खातिर मखमल त्याग
वनों में धरती पर सो जाता था,
56 भोग का अधिकारी मेवाड़ का राजा
भीलों के संग बैठकर घास की रोटी खाता था।
महाकाल से जब गरजे महाराणा
भीलों में भी राष्ट्रवाद का जोश भर डाला था,
फिर राणा ने 3400 की सेना लेकर
युद्ध का शंखनाद कर डाला था।
राणा प्रताप के एक वचन पर सैनिक
प्राण न्यौछावर करने को भी आतुर थे,
मान सिंह की 10,000 की सेना को धूल चटाने वाले
राणा के रणबांकुर थे।
आज करें ज़रा याद वो हल्दीघाटी
जहां राष्ट्रवाद की अलख अमिट वो जगाई थी,
जब माटी की रक्षा की खातिर महाराणा ने
रक्त से भरदी रक्ततलाई थी।
महाराणा के रण में तीर चले कोई बात नही
शम्शीर चले जज़्बात नही,
जो भेद सके सीना महाराणा का
किसी शस्त्र की थी औकात नहीं।
कटे मस्तकों का अंबार लगा
रण में बिता रहा जवानी को,
सरदार वो था एक मेवाड़ी
मुगलों के सिर काट काट करता था भेंट भवानी को।
72 किलो का पहन कवच
राणा ने रण की बागडोर को संभाला था,
शत्रु सदा ही जलकर भस्म हुआ
राणा रण में भभक रही एक ज्वाला था।
राणा ज्यों रण बीच पधारे
मुगले शौर्य देख थर्राए थे,
80 किलो का भाला ले रणभुमि में
मानो धर्मराज स्वयं धरा पर आए थे।
रण बीच भैरवी राग रहे
मुगले प्राण बचाकर भाग रहे,
महाराणा ने हुंकार भरी
मानो नरसिंह निद्रा से जाग रहे।
देख राणा को रण के मध्य
मुग़ल सेना हुई रोआंसी थी,
हृदय में कम्पन होता देख देख
राणा की तलवार रक्त की प्यासी थी।
राणा की चमचम चमकती तलवार चली
मानो रणभूमि में चमक रहा कोई हीरा था,
और बेहलोल खान को इसी तलवार ने
घोड़े सहित बीच से दो टुकड़े करके चीरा था।
जिसने भी हल्दीघाटी में राणा को ललकार
सीना भाले से प्रताप ने छलनी कर डाला,
इतना रक्त राणा ने रण में बहाया
चंडी का खप्पर भर डाला।
एकलिंग की जय जयकार करी
हुंकारों से ही शत्रु का सीना छलनी कर डाला,
शिव के डमरू की ताल चली
और रणभूमि में राणा ने तांडव कर डाला।
महाराणा का भाला रण में कौंधता
मानो गांडिव अर्जुन का टंकार करे,
और एक चेतक था महाराणा का
जो हाथी के मस्तक पर चढकर वार करे।
चकित सभी देख चेतक की चौंकड़ी
चंचल चित्त की गति से चेतक उड़ता जाता था,
राणा के भाले पर जिसका भी रक्त लगा
ततक्षण ही वो काल के मुख में जाता था।
महाराणा के संग चेतक के डंके आज भी
चहुं दिशा में बाजे हैं,
चेतक संग महाराणा लगते ऐसे मानो
स्वयं नारायण शेषनाग पे विराजे हैं।
चेतक की वीरगति का दृश्य आज भी
आंखें नम कर जाता है,
कैसे मातृभूमि के लिए प्राण गंवाकर
एक घोड़ा भी देवतुल्य हो जाता है
कटे पांव से भी 26 फीट का नाला
चेतक ने कूद दिखाया था,
मानो केवट ने अपने प्राण गंवाकर
श्री राम को पार लगाया था।
चेतक भी वीरगति को पाकर
राणा की आंखों में अश्रु दे जाता है,
महाराणा की तो बात दूर है
अकबर राणा के घोड़े तक को झुका नहीं पता है।
कुछ जाहिल कहते हैं आज भी
महाराणा हल्दीघाटी हारा था
जबकि मातृभूमि का एक टुकड़ा भी गुलामी में
महाराणा को ना गंवारा था।
मुगलों के तलवे चाटने वालों
क्या खुद की अक्ल पर पत्थर तुमने दे मारा था,
राणा युद्ध के बाद भी हल्दीघाटी से कर कैसे लेता था
यदि राणा हल्दीघाटी हारा था।
मुगलों को भगवान कहने वाले काबुल भागेंगे
जब महाराणा के बच्चे अपना इतिहास पहचानेंगे,
गजवा ए हिंद का सपना छोड़ दो
हम हिन्द को भगवा करके मानेंगे।
हम हिन्द को भगवा करके मानेंगे।
Негізгі бет Veer Shiromani Maharana Pratap || Poem about most fearless warrior ever born by Deepankur Bhardwaj
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