#Bhimtal #Rural #Tales
इस वीडियो में आप कुमाँऊ क्षेत्र के ग्रामीण परिवेश को समझेंगे।कुमाँऊ में गांवों के बनने की अलग कहानी है।पहले गाँव कुमाँऊ में एक ही जगह पर होते थे जिन्हें बाकली कहा जाता है।एक जगह पर रहने के पीछे पूर्वजो ने मुख्य वजह जंगली जानवरों का खतरा,भूस्खलन और आपसी प्रेम भाव था।कुमाँऊ में जब चंद वंशीय राजाओं का शासन रहा तो उस समय बाखली गाँव को छोड़ कर कुछ परिवार जंगलो के किनारे अपने लिए खेती की जमीन तैयार करने लगे और वही पर बसने लगे।
Visit Nainital & Bhimtal | Uttarakhand |Beauty of supi village | नैनीताल का सूपी गांव
सूपी गाँव भी करीब 15 किमी क्षेत्रफल में बसा हुआ है।जिस जगह पर ग्रामीणों के मकान है उसी जगह पर उनकी खेती और बागवानी की जमीन भी है।इस गाँव की सबसे खास बात है कि हर घर के पास जंगल है।गाँव में 4 प्राथमिक स्कूल और एक इंटर कॉलेज है।गाँव में कई जलधाराएं है जिनसे ग्रामीण अपनी पेयजल और खेती के लिए जल संग्रहण करते है।गाँव के कई इलाको में नौले भी है।
सूपी गाँव पहुचने के लिए आप दो मोटर मार्ग से आ सकते है।नैनीताल से भवाली-रामगढ़ मोटर मार्ग से आप कसियालेख पहुचेंगे।कसियालेख यहाँ का एक छोटा सा बाजार है।इस बाजार से 4 किसी की दूरी पर सूपी गाँव के लिए सड़क जाती है।दूसरा मार्ग नैनीताल-भवाली-भीमताल-चाफी-भालुगाड होते हुए कसियालेख से पहले ही सूपी गाँव पहुँचता है।सूपी गाँव में फलों में सेब,आड़ू,खुमानी, पुलम, कीवी, नाशपाती सहित कई फलों का उत्पादन किया जाता है।इसके साथ ही कैश क्रॉप में मटर,बीन्स,राजमा,आलू,शिमला मिर्च और गोबी का उत्पादन किया जाता है।
गाँव के बारे में एक कहावत काफी प्रचिलित है कि यहाँ हर साल एक देवता पैदा होता है।गाँव के ठीक ऊपर थकुड देवता का मंदिर है।इसके साथ ही गाँव में एड़ी देवता की भी पूजा की जाती है।एड़ी देवता स्थानीय लोगों के जानवरों की रक्षा करते है।
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