Hello everyone!!!!
इस video मे, आप कैंची धाम में कहाँ ठहरे, कब जाए और आप उनसे कैसे संपर्क कर सकते हैं। इन सब चीजों के बारे में आपको पूरी जानकारी मिलेगी।
लेकिन उससे पहले थोड़ा सा बाबा जी और मन्दिर के बारे में जान लेते हैं।
How to visit kainchi Dham?
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Neem karoli ashram Vrindavan
• Baba Neem Karori Ashra...
कैंची धाम कैसे पहुंचें?
1)- आप बाई एयर पंतनगर एयरपोर्ट तक आ सकते है, जहां से कैंची धाम लगभग 79 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां से आप टैक्सी करके मंदिर या फिर काठगोदाम या हल्द्वानी तक पहुंच सकते हैं। आप हल्द्वानी या काठगोदाम पहुंच कर शेयरिंग टैक्सी, बस या फिर रेंटल बाइक्स या कार से भी जा सकते है।
2)- अगर आप ट्रेन से आ रहे है तो पहले काठगोदाम या हल्द्वानी रेलवे स्टेशन पहुंचना है, जहां से कैंची धाम की दूरी लगभग 43 कि.मी. है. जो की सड़क मार्ग है। आप टैक्सी बुकिंग, शेयरिंग टैक्सी, बस या फिर रेंटल बाइक्स या कार से भी जा सकते है।
नोट:- कैंची धाम की दूरी नैनीताल से लगभग 20 किलोमीटर एवं काठगोदाम से 43 किलोमीटर है।
कैसे पड़ा नाम नीम करोली?
बाबा का मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था। उनका जन्म ग्राम अकबरपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था।
एक बार बाबा मां गंगा मैया के दर्शन के लिए, टूंडला से फर्रुखाबाद जाने वाली ट्रेन के प्रथम श्रेणी में यात्रा कर रहे थे। तभी टिकट निरीक्षक ने उन्हें बेइज्जत करके बीच रास्ते में नीब करोरी नामक जगह में ट्रेन से उतार दिया। बाबा भी बिना विरोध किए उतर कर एक नीम के पेड़ के नीचे बैठ गए। लेकिन उनके उतरते ही ट्रेन वही की वही रुकी रही। लाख कोशिशों के बाद भी ट्रेन को चलता ना देखकर ट्रेन के गार्ड,ड्राइवर व टिकट निरीक्षक को आभास हुआ कि उन्होने बहुत बड़ी गलती कर दी है।
फिर उन्होंने बाबा से क्षमा याचना के विनती की। बाबा ने ट्रेन पर बैठने के लिए दो शर्तें रखी। पहली वह कभी भी किसी साधु-संत को ऐसे बेइज्जत नहीं करेंगे। इसके बाद उन्होंने प्रथम श्रेणी का टिकट भी दिखाया। दूसरी इस स्थान पर एक रेलवे स्टेशन का निर्माण हो। बाबा की यह दोनों चलते मान ली गई। फिर जैसे ही बाबा ट्रेन पर बैठे और ट्रेन चल पड़ी। फिर यहां
नीब करोरी स्टेशन बना जो आज भी है। इस तरह बाबा को लोग नीब करोरी बाबा के नाम से जानने लगे। यही नाम नीब करोरी से नीम करोली और नीम करोरी बन गया।
कैंची धाम स्थापना?
15 जून 1964 में कैंची धाम में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई और तभी से 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है और हर साल इस दिन कैंची धाम में भव्य मेले एवं भंडारे का आयोजन किया जाता है।15 जून को जब कैंची धाम का मेला होता है तब मंदिर में लाखों श्रद्धालु आतें हैं और प्रसाद पातें हैं।
सेलिब्रिटीज जो बाबा के भक्त है।
प्रधानमंत्री मोदी के फेसबुक के ऑफिस में दौरे के दौरान मार्क जुकरबर्ग ने स्वयं बताई। एप्पल के को- फाउंडर स्टीव जॉब्स 1974 में कैंची धाम आए। लेकिन उनकी मुलाकात बाबा से नहीं हुई। क्योंकि बाबा कुछ ही दिनों पहले समाधि ले चुके थे। लेकिन बाबा के आशीर्वाद से स्टीव जॉब और मार्क ज़ुकेरबर्ग की पूरी जिंदगी ही बदल गई। नीम करोली बाबा को मानने वालों में हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया रॉबर्ट्स का भी नाम आता है। जूलिया न तो आज तक बाबा के धाम आई और न ही बाबा से मिली। बस उनकी फोटो देखकर उनकी भक्त हो गई। हाल ही में भारत के क्रिकेटर विराट कोहली संग पत्नी अनुष्का शर्मा भी दर्शन हेतु कैंची धाम आए थे। कैची धाम मंदिर चारों ओर से ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों से घिरा हुआ है और मंदिर में हनुमान जी के अलावा भगवान राम एवं सीता माता और देवी दुर्गा जी के भी छोटे-छोटे मंदिर बने हुए हैं। लेकिन कैंची धाम मुख्य रूप से बाबा नीम करौली और हनुमान जी की महिमा के लिए प्रसिद्ध है। कहा जाता है की यहां आने वाला व्यक्ति अगर पूर्ण श्रद्धा रखे तो अपनी सभी समस्याओं का हल प्राप्त कर सकता है। हर किसी ने बाबा के चमत्कारों के आगे शीश नवाजा है. बाबा के दर पर मन्नतें लेकर आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या कभी भी कम नहीं रही।
बाबा का 1973 में निधन हो गया था। लेकिन आश्रम में अब भी विदेशी आते रहते हैं। यह आश्रम फिलहाल एक ट्रस्ट चलाता है। आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है। भक्तों का मानना है कि बाबा खुद हनुमान जी के अवतार थे।
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