हमारा देश ऋषि मुनियों के देश रहा है यहां एक से बढ़कर एक संत हुए है जिन्होंने प्रवत्ति को ही निवृत्ति समझकर जीवन के लौकिक कार्य करते हुए ही ईश्वर को पाया है।
इन्ही संतो की श्रृंखला में एक नाम है संत रविदास जी का, कहने को तो जूते बनाने का कार्य करते थे लेकिन मन से ईश्वर भक्ति में ही रमे रहते थे....आइये रूबरू होते है संत रविदास जी से
Негізгі бет *यादें अवतरण दिवस की*
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