यूरोलॉजिकल हेल्थ यानी मूत्र संबंधी स्वास्थ्य सेहत के लिए बहुत जरूरी है. अक्सर पूछा जाता है कि यूरोलॉजी क्या है, तो आपको बता दें कि यूरोलॉजी एक मेडिसिन स्पेशिलिटी है यानी विशेषज्ञता, जो कि यूरिनरी ट्रेक जैसे किडनी, यूट्रस, ब्लैडर वगैरह से जुड़ी समस्याओं से संबंधित है. यूरोलॉजिकल बीमारियां यानी मूत्र संबंधी रोग महिला, पुरुष, बच्चे और बुजुर्गों सभी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है. आलस्य, प्रमाद और बार-बार पिशाब करने न जाना पड़े, इसके लिए लोग पानी कम पीते हैं और कई बीमारियाँ पाल लेते हैं.
आधुनिक जीवनशैली के कारण महिलाओं के बीच यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन (यूटीआई) आम रोग बन चुका है, जिसका सबसे बड़ा और सामान्य कारण है अस्वच्छ शैचालयों का इस्तेमाल करना. बात अगर नौकरी पेशा महिलाओं की की जाए तो यह रोग हर दूसरी महिला को अपनी गिरफ्त में ले लेता है. यह रोग हालांकि बहुत खतरनाक नहीं है, लेकिन अगर समय रहते ध्यान न दिया जाए तो यह किडनी तक को प्रभावित कर सकता है. कुछ सावधानियां बरतकर यूटीआई से बचा जा सकता है.
महिलाओं के बीच यूटीआई जिसे मूत्र मार्ग संक्रमण भी कहा जाता है, का सबसे सामान्य और प्रचलित कारण वेस्टर्न स्टाइल के टॉयलेट हैं जहां इस संक्रमण का जोखिम अधिक बढ़ जाता है. 15 से 40 की उम्र के बीच यह समस्या अधिक देखी जाती है.
ऐसे बहुत से काम हैं जो करके आप बेहतर यूरिनरी हेल्थ पा सकते हैं. हेल्दी यूरिनरी ट्रेक के लिए आपको कुछ बातों का ध्यान रखना होगा.
बुनियादी तौर पर यूटीआई की समस्या मूत्रत्याग के समय किसी भी प्रकार की बाधा के कारण होती है. लेकिन शौचालय का इस्तेमाल करते वक्त स्वच्छता का ध्यान ना रखना इस संक्रमण का आम कारण है. यूटीआई का एक कारण गर्मियों में दूषित पानी का सेवन और निर्जलीकरण (डीहाइड्रेशन) है और डायबिटीज भी यूटीआई को बुलावा दे सकता है.
हमेशा स्वच्छ शौचालय का प्रयोग करना चाहिए, स्वच्छता किसी भी रोग से बचने का सबसे बड़ा उपाय है. चूंकि यह रोग पुरुष व महिला दोनों को प्रभावित करता है, इसलिए सुरक्षित यौन संबंध इससे बचने का एक तरीका हो सकता है. अगर किसी को यूटीआई हो गया तो तुरंत उसका उपचार करना चाहिए, क्योंकि समय रहते इलाज न होने पर यह गंभीर रोगों को दावत दे सकता है.
एक रिपोर्ट के अनुसार, गंदे शौचालयों या शौचालयों की कमी जैसे कारणों के साथ भारत में लगभग 50 फीसदी महिलाएं यूटीआई से पीड़ित हैं।
पुरुषों की तुलना में महिलाएं इस रोग से अधिक प्रभावित होती हैं. खासतौर पर युवा महिलाओं में यूटीआई की शिकायत बहुत आम है. यह रोग किडनी पर भी दुष्प्रभाव डाल सकता है. ऐसा देखा गया है कि पुरुषों में 45 की उम्र के बाद यह परेशानी शुरू होती है और ज्यादा उम्र के पुरुषों को यह बीमारी प्रोस्टेट ग्रंथि के बड़ा होने, डायबिटीज, एचआईवी या फिर यूरिनरी ट्रैक्ट में स्टोन होने के कारण होती है. चूंकि पुरुषों के मुकाबले महिलाओं में यूरेथ्रा छोटा होता है, इसलिए बैक्टीरिया यूरिनरी ब्लाडर को जल्दी प्रभावित करते हैं.
इससे बचने के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी पीना चाहिए. कम पानी पीने से न केवल डिहाइड्रेशन होता है, बल्कि आप यूटीआई से भी पीड़ित हो सकते हैं. सार्वजनिक शौचालयों का उपयोग न करना ही बेहतर है. टॉयलेट आने पर उसे अधिक समय रोके नहीं चाहिए. गर्मियों में खासतौर पर चुस्त कपड़े नहीं पहनने चाहिए. विटामिन-सी युक्त आहार को अपने भोजन में शामिल करना चाहिए.
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