राजा सहस्रजीत के वंश को हैहय वंश कहा गया व
उनके पौत्र का नाम भी हैहय था। राजा क्रोष्टा के
वंशजों को कोई विशेष नाम नही दिया गया वे
समान्यतः यादव कहलाए। जब राज्य का विभाजन
हुआ तो सिंधु नदी के पश्चिम का राज्य सहस्रजीत
को मिला व पूर्व का भाग क्रोष्टा को दिया गया।
सहस्रजीत यदु का सबसे बड़ा पुत्र था, जिसके वंशज
हैहयस थे। कार्तवीर्य अर्जुन के बाद, उनके पौत्र
तल्जंघा और उनके पुत्र, वित्रोत्र ने अयोध्या पर
कब्जा कर लिया था। तालजंघ, उनके पुत्र वित्रोत्र
को राजा सगर ने मार डाला था। उनके वंशज मधु
और वृष्णि यादव वंश के एक विभाग, क्रोहतास
में निर्वासित हुए।
इस प्रकार सहस्रजित के पुत्र हुए सतजीत जिनके
तीन पुत्र हुए महाउपाय, रेणुहाया और हैहय्या ।हैहय
ने हैहय साम्राज्य की स्थापना की ये सूर्यवंशी राजा
मंधात्री से समकालीन थे। धर्म हैहय का पुत्र था।
जिनका पुत्र था नेत्रा के कुंती नाम का पुत्र हुआ।
जिनका पुत्र था सूजी जिन्होंने महिष्मान को जन्म
दिया जिसने नर्मदा नदी के तट पर महिष्मती की
स्थापना की। महिष्मान के पुत्र थे भद्रसेनका
(भद्रसेन) जो सूर्यवंशी राजा त्रिशंकु से समकालीन
थे। जिनके पुत्र हुए दुर्मदा जो सूर्यवंशी राजा
हरिश्चंद्र के लिए समकालीन थे। जिनके पुत्र हुए
डारडम, जिनके पुत्र थे भीम, भीम के पुत्र हुए
समहत जिन्होंने जन्म दिया कनक को जो धनक
के पिता थे। धनक के चार पुत्र हुए कृतवीर्य,
कृताग्नि, कृतवर्मा और कृतौजा। जो सूर्यवंशी
राजा रोहिताश्व के समकालीन हुए।
सहस्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन कृतवीर के पुत्र थे
और अंत में भगवान परशुराम द्वारा मार डाला
गया। जयध्वज, वृषभ, मधु और उरुजित
परशुराम द्वारा छोड़ दिए गए थे और 115
अन्य लोग भगवान परशुराम द्वारा मारे गए
थे। जिनके वंशज हुए तालजंघ जो सूर्यवंशी
राजा असिता के समकालीन थे। जिनके पुत्र
हुए विथिहोत्र जो सूर्यवंशी राजा सगर के
समकालीन थे।जिनके पुत्र थे मधु, मधु के
पुत्र हुए वृष्णि
यदु वंश की शाखा क्रोष्टा
महाराज यदु के एक पुत्र क्रोष्टा भी थे। जिनके
पुत्र हुए वृजनिवन जिन्होंने जन्म दिया व्रजपिता
को जो भीम के पिता थे। भीम के पुत्र थे निवृति
जिनके पुत्र हुए विदुरथ, विदुरथ के पुत्र थे विक्रति
जिनके पुत्र थे विक्रवन जिनसे जन्मे स्वाही।
स्वाही के पुत्र हुए स्वाति जिनके पुत्र उशनाका
थे। उशनाका के पुत्र थे रसडू जो चित्ररथ के
पिता थे। चित्ररथ के वंशज हुए साशाबिन्दु
जो सूर्यवंशी राजा मान्धाता के समकालीन थे
जिनसे जन्मे मधु, मधु के पुत्र थे पृथ्वीश्रवा
जिनके वृष्णि नाम का पुत्र हुआ जो कि एक
यादव राजा था, जिसके वंश को वृष्णि वंश
कहा जाता था।
यादव वंश की शाखा वृष्णि
वृष्णि एक महान यादव राजा थे। इनके वंशज
वृष्णि यादव, चेदि यादव और कुकुरा यादव थे।
उनका बेटा अंतरा था। अंतरा का पुत्र था सुयज्ञ
जिनका पुत्र था उषा, उषा का बेटा था मारुतता
जिनसे जन्मे कंभोज जिन्होंने कंबोज साम्राज्य
की स्थापना की और उनके वंशज कंबोजराज थे।
कंभोज के पुत्र हुए शाइन्यू जिनका बेटा था
रुचाका । रुचाका का पुत्र था रुक्माकवच जिनसे
जन्मे जयमधा। जयमधा के पुत्र थे विदर्भ जो
विदर्भ राज्य के संस्थापक थे और सूर्यवंशी राजा
बाहुका के समकालीन थे। इनका पुत्र था कृत जो
सूर्यवंशी राजा सगर के समकालीन था। कृत का
पुत्र था रायवाटा जिनके पुत्र थे विश्वंभर जिनसे
जन्मे पद्मवर्ण जिनके पुत्र हुए सरसा। सरसा से
हरिता हुए। हरिता से मधु , मधु से माधव जिनके
पुत्र थे पुरुवास जिन्होंने जन्मे पुरुदवन। पुरुदवन
से जंटू हुए, जिनके पुत्र हुए सातवात जिनके
वंशज सातवत कहलाते थे। सातवात के पुत्र थे
भीम जिन्होंने जन्मा अंधका को जिसके वंशज
अंधक कहलाते थे। अंधका का पुत्र था महाभोज
जिनसे जन्मे जीवता जो सूर्यवंशी राजा अथिति के
समकालीन थे। जिनके पुत्र थे विश्वंभर, विश्वम्भर
से वासु हुए जिनसे हुए कृति, कृति से हुए कुंती
कुंती से धृष्टी, धृष्टि से तुर्वसु, तुर्वसु से दर्शन
जिनके पुत्र थे व्योमा जिनके पुत्र थे जिमूता
जिनसे जन्मे विकृति से भीमरथ हुए। भीमरथ से
रथवारा, रथवारा से नवरथ, नवरथ से दशरथ
हुए जो एकादशारथ के पिता थे। जिनके पुत्र
थे शकुनि, जिनसे जन्मे करिभि के पुत्र थे देवरात
, देवरात के पुत्र हुए देवक्षेत्र जिनके पुत्र थे देवला
जिनसे जन्मे मधु, मधु से भजमन, भजमन से
पुरुवाशा, पुरुवाशा से पुरूहोत्र जन्मे जिनसे
जन्मे कुमारवंश। जिनके पुत्र थे कुंभलभी।
कुम्भलभी के पुत्र थे रुक्मावतवाच जिनके पुत्र
थे कुरुवंश, कुरुवंश के पुत्र थे अनु, अनु से
प्रवासी हुए। प्रवासी से पुरुमित्र, पुरुमित्र से
श्रीकर, श्रीकर से चित्ररथ, जिनके पुत्र थे
विदुरथ। विदुरथ से शौर्य हुए शौर्य से शार्मा हुए।
शार्मा से पृथ्वीराज हुए पृथ्वीराज से स्वयंभूजा
हुए जिनके पुत्र थे हरधिका जिनसे जन्मे वृष्णि
द्वितीय जिनके पुत्र हुए देवमेधा। देवमेधा के दो
पुत्र थे सुरसेन जो मदिशा के पुत्र थे और
परजन्या जो वेस्पर्ना देवमेधा की दूसरी पत्नी
के पुत्र थे। सूरसेन के पुत्र थे वासुदेव और
नंद बाबा वासुदेव के चचेरे भाई थे। बलराम
दाउ, श्री कृष्ण जी और अन्य लोग वासुदेव के
पुत्र थे। जबकी योगमाया नंद बाबा की बेटी
थीं। प्रद्युम्न कृष्ण के पुत्र थे। जिनके पुत्र थे
अनिरुद्ध, अनिरुद्ध के पुत्र थे वज्रनाभा
जिनके पुत्र थे प्रतिभा। प्रतिभा के पुत्र थे
सुबाहु जिनसे जन्मे शांतासेना जो शतसेना
के पिता थे।
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Негізгі бет यदुवंश का पूर्ण परिचय व सभी वंशज
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