डाॅ. हनुमान सहाय
शैक्षणिक योग्यता : एम.ए., इन्दिरा गांधी़ विश्वविद्यालय, खैरागढ़, सन् 2000
पीएच. डी. मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय, उदयपुर सन् 2009
अभिभावक : पिता - श्री कल्याण सहाय जी
माता- श्रीमती प्रभाती देवी
उपाधि : संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार, दिल्ली द्वारा के राजस्थान की विशिष्ठ गायन शैली ‘माड’ पर वरिष्ठ अध्येतावृति (senior fellowship ) सन् 2015
शास्त्रीय एवं उपशास्त्रीय संगीत ने आकाशवाणी से बी हाई ग्रेड चयनित कलाकार
विशेष योग्यता : पं. चिरंजीलाल तँवर के गंडा बंध शिष्य होन के नाते जयपुर घराने की विशुद्ध शास्त्रीय परम्परा को अक्षुग्ण रखा है। दूसरी ओर अपनी मौखिक सृजनशीलता का परिचय देकर घराने की गायिकी को और भी संतुष्ट किया है। पं. गोविन्द प्रसाद जयपुर वालें से अपने संगीत का प्रारंभिक मार्गदर्शन प्राप्त किया। वनस्थली विद्यापीठ में रहते हुए आपने पं. रमेशचन्द्र नाटकर्णी एवं पं. लक्ष्मण भट्ट तैलंग से भी संगीत की शिक्षा प्राप्त की।
व्याख्यान : राष्ट्रीय संगोष्ठियों में व्याख्यान, विषय-संगीत शिक्षा के क्षेत्र में पुस्तकों की भूमिका दिल्ली मानव जीवन मेंसंगीत की भूमिका एवं महत्व सम दिल्ली द्वारा आयोजित
विषय माड - राजस्थान संगीत संस्थान जयपुर विषय माड का ठुमरी से सम्बन्ध-जवाहर कला केन्द्र जयपुर
व्याख्यान एवं मंच प्रदर्शन-ठुमरी दादरा एवं माड-भारतीय नृत्य कला केन्द्र, जामनगर (सौराष्ट्र)
प्रस्तुतियाँ : पं. गामा महाराज मेमोरियल राष्ट्रीय संगीत महोत्व 2010, दिल्ली।
ठुमरी गायन, आवर्तन संस्थ, बनारस उ.प्र. 2011
‘‘गणेश महोत्सव’’ अमरावती महाराष्ट्र
‘‘सुर सांसद’’, ठुमरी गायन, मुम्बई
पद अध्यक्ष, सुर साहित्य कला संस्थान, जयपुर (वर्तमान)
वनस्थली विद्यापीठ, संगीत शिक्षण सन् 2004 (20 वर्ष)
सत्यसाई महिला महाविद्यालय, संगीत शिक्षण सन् 2008 2 वर्ष
सम्पादित ग्रंथ : राजस्थान की शैली माड उद्गम व विकास
‘विचार राग सागर’ राजस्थान हिन्दी ग्रंथ अकादमी, जयपुर ‘मरूधरा के भक्त कवि गायक’ राज पब्लिशिंग, हाउस जयपुर
अनेक संस्थाओं द्वारा संगीत के उत्कृष्ट कार्याे हेतु सम्मानित किया गया।
Негізгі бет यही नाम मुख में हरदम हमारे... गोस्वामी बिंदु जी महाराज द्वारा लिखित पद, पं. हनुमान सहाय ने गाया
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