Mamta Rani Bhardwaj
(मेरी कल्पना मेरी उड़ान )जो अब तक कागजों तक सिमट कर रह गई ।
धन्यवाद! इस सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का ,जो मुझे अपने ख्वाबों को एक फिर से जीने का मौक़ा दिया।
"(व्याकुल गागर है, काव्य रस छलकाने के लिए।
काव्य प्रेमी भी तो हो, आनंद में डूब जाने के लिए।)
{"उन्मुक्त स्वच्छंद पहुंचू फलक तक,
मुझे पंछियों सा हुनर चाहिए।"}
{कभी आशा निराशा में नये जब सपने बुनती हूं।
कभी तो जीत जाती हूं कभी तो हार जाती हूं।
कलम से बात करती हूं,कलम से शांत रहती हूं।
कागज पर हृदय को रख ,नई कविता मैं लिखती हूं।"}
(यूं तो जीवन के गुलिस्ता में हजारो रंग बिखरे हैं हर्ष के, रंज के ; ये निर्णय बस तुम्हारा है कि किस रंग को चुराना है।)
(ममता रानी भारद्वाज)" जय श्री राधे "
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