समर्पण (भक्ति मार्ग)
भक्ति मार्ग -भक्ति सुत्र - "जैसी तेरी मर्जी"
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"प्रेम ही परमात्मा है"
जिसने जीवन में प्रेम किया है, वही भक्त हो सकता है।
फिर चाहे वह प्रेम किसी वस्तु से, व्यक्ति से, प्रकृति से, जीव से, किसी इच्छा से, किसी कल्पना से या किसी स्थान से हो।
प्रेम का अर्थ है
जिससे प्रीति हुईं वही सब कुछ हो गया।
-विचारों में वही है
-भावनाओं में वही है
-इच्छा में वही है
-कल्पना में वही है
-जीवन वही है (वह नहीं तो जीवन नहीं)
- 6 күн бұрын
निमंत्रण
- 7 күн бұрын
मां कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त करें।छोटा-सा उपाय और चारों दिशाओं से प्रेम आपकी तरफ आने लगेगा ।
- 8 күн бұрын
मुक्ति,मोक्ष,भव सागर से पार और मूढ़ को भी ज्ञानी बनाने वाली"मां मोक्षदायिनी"का आशीर्वाद ...
- 9 күн бұрын
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