छह इंद्रिय-आधार जिनके बारे में किसी को पता होना चाहिए
( कायानुपासना );
वेदनाओं पर चिंतन , जो इंद्रियों और उनकी वस्तुओं के बीच संपर्क से उत्पन्न होता है
( वेदनानुपासना );
मन की परिवर्तित अवस्थाएँ जिनमें यह अभ्यास होता है (चित्तानुपासना);
आत्मज्ञान के सात कारकों के लिए पांच बाधाओं से विकास ( धम्मानुपासना )।
Негізгі бет 348 # बुद्ध तथा उनके सन्देश-अनापान स्मृति व ध्यान केप्रभाव से ब्रह्मविहार की अवस्थाको प्राप्त होना
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