सात बोध्यंग-स्मृति-संबोध्यग, धर्म-विचय०, वीर्य०, प्रीति०, प्रश्रब्धि०, समाधि०, उपेक्षा०, ।
- Жыл бұрын
349 ब # बुद्ध तथा उनके सन्देश - मैले चित्त से शुद्ध मन की तरफ कैसे बढे ? Sakadagami 141
- Рет қаралды 4,083
सात बोध्यंग-स्मृति-संबोध्यग, धर्म-विचय०, वीर्य०, प्रीति०, प्रश्रब्धि०, समाधि०, उपेक्षा०, ।
Пікірлер: 13