Shri baba Basukinath Dhaam darshan Wednesday, 28 February, 2024.
श्री बाबा बसुकीनाथ से दर्शन करें बाबा का, बुधवार 28 फरवरी 2024
बाबा के रोज के प्रातः दर्शन प्राप्त करने के लिए सबस्क्राइब करें यायावर चैनल।
Video credit Raju Baba, Shri Basukinath Dham, Teerth Purohit mobile number 9934080174, 9835772630
विडियो क्रेडिट श्री राजू बाबा, बाबा बसुकीनाथ धाम, तीर्थ पुरोहित, संपर्क सूत्र 9934080174, 9835772630
बाबा बसुकीनाथ का प्रतिदिन दर्शन प्राप्त करें
Baba Basukinath Daily Darshan
Basukinath, situated in the Dumka District of Jharkhand, is positioned along the Deoghar - Dumka state highway, approximately 25 km north-west of Dumka. A significant pilgrimage site for Hindus, it draws visitors throughout the year, especially during the month of Shravan.
The renowned Basukinath Temple serves as the primary attraction in this locale. For those seeking rail transportation, Jasidih Junction Railway Station and Jamtara Railway Station are the nearest options. Ranchi Airport is the closest air transit point.
Located in the Jarmundi Block on Dumka Deoghar State Highway, Basukinath is approximately 24 km away from the district headquarters in Dumka. Annually, hundreds of thousands of people from various parts of the country converge at this sacred site to offer their worship to Lord Shiva. Particularly during the month of Shravan, devotees from diverse countries also gather here to participate in the worship of Lord Shiva.
वैद्यनाथ मन्दिर झारखण्ड के देवघर नामक स्थान में स्थित है।भगवान भोलेनाथ जी का एक नाम बैद्यनाथ भी है क्योंकि उन्हें इस सृष्टि का प्रथम वैद्य भी माना जाता है। इसी कारण लोग इस धाम को 'वैद्यनाथ धाम' भी कहते हैं। यह मंदिर एक सिद्धपीठ है। यहाँ आने वालों की मनोकामना भगवान भोलेनाथ पूर्ण करते हैं इस कारण इस लिंग को "कामना लिंग" भी कहा जाता हैं।
प्रत्येक वर्ष सावन के महीने में श्रावण मेला लगता है जिसमें लाखों श्रद्धालु "बोल-बम!" "बोल-बम!" का जयकारा लगाते हुए बाबा भोलेनाथ के दर्शन करने आते हैं। ये सभी श्रद्धालु बिहार के सुल्तानगंज नामक स्थान से पवित्र गंगा का जल लेकर लगभग सवा सौ किलोमीटर की अत्यन्त कठिन पैदल यात्रा कर बाबा को जल चढाते हैं।
बाबा को इस स्थान पर रावनेश्वर भी कहा जाता है। एक बार राक्षसराज रावण ने हिमालय पर जाकर शिवजी की प्रसन्नता के लिये घोर तपस्या की और अपने सिर काट-काटकर शिवलिंग पर चढ़ाने शुरू कर दिये। शिवजी ने प्रसन्न होकर उसे दर्शन दिया और उन्होंने उसके दसों सिर ज्यों-के-त्यों कर दिये और उससे वरदान माँगने को कहा। रावण ने लंका में जाकर स्थापित करने के लिये बाबा से एक ज्योतिर्लिंग की कामना की। शिवजी ने अनुमति तो दे दी, पर चेतावनी भी दी कि यदि मार्ग में इसे पृथ्वी पर रख दिया गया तो वह वहीं अचल हो जाएगा।
रावण शिवलिंग लेकर चला पर मार्ग में एक चिताभूमि आने पर उसे लघुशंका निवृत्ति की आवश्यकता हुई। रावण उस लिंग को एक व्यक्ति को थमा लघुशंका-निवृत्ति करने चला गया। इधर उन व्यक्ति ने ज्योतिर्लिंग को बहुत अधिक भारी अनुभव कर भूमि पर रख दिया। फिर क्या था, लौटने पर रावण पूरी शक्ति लगाकर भी उसे वहाँ से न उखाड़ सका और निराश होकर मूर्ति पर अपने हाथ से ज़ोर से प्रहाण कर के लंका चला गया। इधर ब्रह्मा, विष्णु आदि देवताओं ने आकर उस शिवलिंग की पूजा अर्चना की और शिव-स्तुति करते हुए वापस चले गये।
देवघर का शाब्दिक अर्थ है देवी-देवताओं का घर अथवा निवास स्थान। देवघर में बाबा भोलेनाथ का भव्य मन्दिर तो है ही साथ ही अन्य अनेक देवी देवताओं के भी अलग-अलग मंदिर हैं। मन्दिर के समीप ही एक विशाल तालाब भी स्थित है जिसे शिवगंगा या शिवगंगी कहते हैं। बाबा बैद्यनाथ का मुख्य मन्दिर सबसे पुराना है जिसके आसपास अनेक अन्य मन्दिर बाद मे बनाए गए हैं। बाबा भोलेनाथ का मन्दिर माँ पार्वती जी के मन्दिर के ठीक सामने है और दोनों के शिखरों के पंचशूलों को लाल धागे से या वस्त्र से आपस मे बांध दिया गया है। इसे बाबा का गंठबंधन या गांठबंधन कहा जाता है। ऐसी परंपरा इकलौते बैजनाथधाम और इसी के नजदीक के जिले के श्री बासुकनीयठ धाम मे ही देखने को मिलती है।
सावन माह मे श्रद्धालु जब सुल्तानगंज से जल उठाते हैं तो उसे काँवड़ में भर कर लाते हैं। पवित्र जल लेकर जाते समय इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वह पात्र जिसमें जल है, वह कहीं भी भूमि से न सटे।
वासुकिनाथ अपने शिव मन्दिर के लिये जाना जाता है। वैद्यनाथ मन्दिर की यात्रा तब तक अधूरी मानी जाती है जब तक वासुकिनाथ में दर्शन नहीं किये जाते। यह मान्यता विगत कुछ वर्षों में प्रचलित हुई है। पहले ऐसी मान्यता नहीं थी न ही पुराणों में ऐसा वर्णन है। यह मन्दिर देवघर से 42 किलोमीटर दूर जरमुण्डी गाँव के पास स्थित है। यहाँ पर स्थानीय कला के विभिन्न रूपों को देखा जा सकता है। इसके इतिहास का सम्बन्ध नोनीहाट के घाटवाल से जोड़ा जाता है। वासुकिनाथ मन्दिर परिसर में कई अन्य छोटे-छोटे मन्दिर भी हैं।
बाबा बैद्यनाथ मन्दिर परिसर के पश्चिम में देवघर के मुख्य बाजार में कुछ और मन्दिर भी हैं जिन्हें बैजू मन्दिर के नाम से जाना जाता है। इन मन्दिरों का निर्माण बाबा बैद्यनाथ मन्दिर के मुख्य पुजारी के वंशजों ने किसी जमाने में करवाया था। प्रत्येक मन्दिर में भगवान शिव लिंग स्वरूप में स्थापित है।
भारत में झारखण्ड के देवघर जिले में स्थित वैद्यनाथ का मंदिर है। विश्व के सभी शिव मंदिरों के शीर्ष पर त्रिशूल लगा दीखता है मगर वैद्यनाथधाम परिसर के शिव, पार्वती, लक्ष्मी-नारायण व अन्य सभी मंदिरों के शीर्ष पर पंचशूल लगे हैं।
Негізгі бет बाबा बसुकीनाथ धाम पूजन शृंगार 28 फरवरी
Пікірлер: 2