"Shri Guru Dham", Swami Sarvananda Sevashram, Yogoda satsanga, Vadia, Amreli, Gujarat-365480, India.
“बाहरी आकर्षण ही रोक लेता है ”
जबतक बाहरी खिंचाब, बाहरी सम्पर्क या प्रेम-प्रीति का खिंचाब, मोह, माया आदि जाते नहीं और सत्य स्वरुप अपना आत्मा य प्राण के प्रति व आकर्षण नहीं आते तथा आत्म चिंतन करके सन्तोष अनुभब नहीं होते, तब तक दिव्य जगत का सुख-सम्पदा आदि अर्थात नाद, ज्योति (प्रकाश) , दिव्य खुश्बू, दिव्य स्वाद , दिव्य स्पर्श, दिव्यानुभूति, शान्ति-मुक्ति का स्वाद आदि प्राप्त होने की आशा दराशा मात्र ही हैं। फिर जब बाहरी खिंचाब जाकर भीतरी (अंतर का) खिंचाब आयेगा और उसीमे आनन्द का अनुभब होता चलेगा तथा अच्छा लगेगा तब जान लेना भाग्य प्रसन्न हुआ हैं। अभी किसी भी भय य चिन्ता नहीं हैं, अभी जो कुछ करनेका हैं सब के सब वही (ईश्वर) करबाया लेगा, तुम्हे कोई (कुछ) भी चिन्ता करने की जरुरत नहीं हैं। अनजान से ही आत्मा या प्राण के साथ तुम्हारा संयोग होता चलेगा, दिन-दिन प्रगति होती जाएगी, धीरे-धीरे तड़पती हुए प्यास आ जायेगी। अभी तुम्हारा कर्तब्य-भला-बुरा कुछ भी हो सब का सब ईश्वर समर्पण करते जाना। बस इतना ही हैं।
.................. स्वामी सर्वानन्द
पुस्तक (Book):
( स्वामी सर्वानन्द की अमृतधारा
एवं
कुछ छंदोबद्ध कवितागुच्छ )
Негізгі бет बाहरी आकर्षण ही रोक लेता है (Baaharee aakarshan hee rok leta hai)
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