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महाराजा भीमसिंह एक दयालु राजा था जिसके कारण वह अपनी प्रजा से राजस्व की वसूली कठोरता से नहीं कर पाता था किंतु ब्रिटिश पॉलिटिकल एजेण्टों ने राजस्व वसूली का बेहतर प्रबंध किया जिसके कारण राज्य की आय में उल्लेखनीय सुधार हुआ।
ई.1828 में महाराणा भीमसिंह के पौत्र का बहुत कम आयु में निधन हो गया। उसके सदमे से मात्र 14 दिन बाद महाराणा भी चल बसा। महाराणा भीमसिंह की 17 रानियां थीं जिनसे उसे कई पुत्र हुए थे किंतु महाराणा की मृत्यु के समय केवल अकेला जवानसिंह ही जीवित बचा था जिसकी आयु 28 वर्ष थी। वही मेवाड़ का 40वां महाराणा हुआ।
महाराणा जवानसिंह कुंवरपदे में बड़ा मितव्ययी और वचन का पक्का था। उसके कहने पर सेठ-साहूकार तथा अंग्रेज अधिकारी उसके पिता भीमसिंह को रुपये उधार दिया करते थे किंतु गद्दी पर बैठने के बाद जवानसिंह शराब पीने लगा और अपव्ययी हो गया। वचन का भी पक्का न रहा।
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Негізгі бет गोरा हट जा - 34: महाराणा को पिता का श्राद्ध करने के लिए अंग्रेजों की सहायता चाहिए थी!
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