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ई.1808 में जसवंतसिंह डूंगरपुर राज्य का महारावल हुआ। वह एक अयोग्य शासक था। ई.1812 में खुदादाद खाँ नाम के एक पिण्डारी ने अपने आप को सिंध का शहजादा घोषित करके डूंगरपुर राज्य पर आक्रमण कर दिया। महारावल जसवंतसिंह अपनी रानियों सहित डूंगरपुर छोड़कर भाग गया। सिंधियों ने डूंगरपुर पर अधिकार करके उसे नष्ट-भ्रष्ट कर दिया और सरकारी कार्यालय जलाकर राख कर दिए।
जब महारावल जसवंतसिंह किसी तरह सेना एकत्र करके सिंधियों से युद्ध करने के लिए आया तो सिंधियों ने उसे कैद कर लिया। महारावल के अनेक सरदार मारे गए। बाद में बड़ी कठिनाई से सूरजमल नामक एक सामन्त ने खुदादाद खाँ को मार कर महारावल जसवंतसिंह को मुक्त करवाया।
महारावल ने मराठों, भीलों तथा अपने सरदारों से तंग आकर ई.1818 में ईस्ट इण्डिया कम्पनी से अधीनस्थ संधि की। इस संधि की शर्तें लगभग वही थीं जो अन्य राज्यों के साथ हुई संधि में रखी गई थीं।
इस संधि के तुरंत बाद भीलों ने डूंगरपुर राज्य में बहुत लूट-मार मचाई जिसे महारावल जसवंतसिंह काबू न कर सका। इस पर कम्पनी सरकार ने अपनी सेना भेजी। इस सेना को देखकर भीलों ने लड़ना बंद करके कम्पनी की अधीनता स्वीकार कर ली।
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Негізгі бет गोरा हट जा - 37: अंग्रेजों ने डूंगरपुर के महारावल को बलपूर्वक वृंदावन भेज दिया!
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