टीका ले कै Krishna janm दादा मांगेराम haryanvi हरियाणवी कविता kaviyon ki baat रागनी haryanvi ragni
शूर सैन कै टिक्का ले कै पहुंच गए बामण नाई
कर सोलह सिंगार गोपनी गावण गीत घरां आई ।।
वासुदेव की अधर धजा सै,
सतरह राणी ठीक मजा सै,
पणमेश्वर की इसी रजा सै, लक्ष्मी धरी घरां पाई ।।1
कर सोलह सिंगार गोपनी गावण गीत घरां आई ।।
शूर सैन कै टिक्का ले कै पहुंच गए बामण नाई
शंख-घड़ावल बाजे बजरे,
दुश्मन लोग ठिकाणा तजरे,
मन्दिर और शिवाले सजरे, आई थी जमना माई ।।21
कर सोलह सिंगार गोपनी गावण गीत घरां आई ।।
शूर सैन कै टिक्का ले कै पहुंच गए बामण नाई
या बेटी देवक अंश की,
ठीक असनाई मिली कंस की,
लगी कचैहड़ी यदुवंश की, बैठ गये सब भाई ||3|
कर सोलह सिंगार गोपनी गावण गीत घरां आई ।।
शूर सैन कै टिक्का ले कै पहुंच गए बामण नाई
लखमीचन्द झुका जब सिर दिए,
छोरे के माथे चावल धर दिए,
ब्राह्मण नाई विदा कर दिए, मांगेराम कथा गाई ||41
कर सोलह सिंगार गोपनी गावण गीत घरां आई ।।
शूर सैन कै टिक्का ले कै पहुंच गए बामण नाई
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