नीलांबर-पीतांबर:-
इनका जन्म राज्य के गढ़वा जिले के चेमो सन्या गांव में खरवार जनजाति में हुआ था।
पिता का नाम - चेमू सिंह
अप्रैल 1858 ई० में लस्कीगंज में फांसी दे दी गई।
जतरा भगत :-
जन्म- 1888 ई० (गुमला जिले के बिशुनपुर प्रखंड के चिंगारी नवाटोली में उराँव परिवार में हुआ था)
इन्होंने वर्ष 1914 में ताना भगत आंदोलन की शुरुआत की ।
वर्ष 1916 में उरांव जनजातियों को अंग्रेजो के खिलाफ भड़काने के कारण बंदी बनाया गया एवं डेढ़ वर्ष की सजा दी गई।
फूलों-झानों :-
जन्म - संथाल परगना के भगनाडीह में संथाल परिवार में हुआ था।
पिता का नाम- चुन्नी मुर्मू
यह सिद्धू कान्हू, चांद भैरव इन चारों भाई की बहन थी । इन्हें संथाल विद्रोह में सहयोगी के तौर पर चुना गया था ।
हूल या संथाल विप्लव विश्व का पहला ऐसा आंदोलन था जहां महिलाओं ने अहम भूमिका निभाई।
जयपाल सिंह:-
जन्म- 3 जनवरी 1903 (खूंटी जिला के टकरा गांव)
जयपाल सिंह का उपनाम - सिंह अर्थात सूर्य। इनके सांस्कृतिक गुरु सुकरा पाहन थे, इन्हें प्रदेश के लोग सर्वोच्च नेता (मरांग गोमांग) के नाम से पुकारते थे ।
जनवरी 1928 ईस्वी में एम्सटर्डम ओलंपिक में हॉकी में भारत को पहला स्वर्ण पदक दिलाया। वर्ष 1938 में इन्होंने आदिवासी महासभा की अध्यक्षता ग्रहण कर बिहार से अलग झारखंड राज्य बनाने की मांग की ।
23 मार्च 1970 में जयपाल सिंह मुंडा की मृत्यु हो गई ।
यह एक जाने-माने राजनीतिज्ञ ,लेखक ,पत्रकार, संपादक व शिक्षाविद थे, इन्हें 1925 में “ऑक्सफोर्ड ब्लू” का खिताब दिया गया था ।
यह किताब पाने वाले हॉकी के एकमात्र अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी थे।
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