दो सखियों की व्यथा
एक अनूठा सौदा, जिसमें एक गोपी अपनी निंदिया अर्थात नींद बेचना चाहती है तो दूसरी गोपी खरीदना। उसकी अपनी नींद कहाँ है? और वे बेचना व खरीदना क्यूँ चाहती हैं? निद्रा जो तमोगुणी मानी जाती है। वही निद्रा जब उस गुणातीत ईश्वर से जुड़ जाती है तो वही कल्याणकारक व मंगलमय हो जाती है।
ऐसे अनूठे व्यापार के साक्षी बनकर अपने जीवन को धन्य बनाएं, श्रद्धेय विनोद अग्रवाल जी की मधुर वाणी में....
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