● यह है कीचड़ में कमल बनने की कला ● निर्यापक श्रमण मुनि श्री 108 वीरसागर जी महाराज
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🔆हम जिस संसार में रहते हैं, वहां रिश्ते -नातों के प्रति हमारा विशेष मोह होता है और मन में एक अनजाना भय बना रहता है उन प्रिय लोगों को खोने का..... ऐसे में हमें जीवन को एक नए नजरिए से देखने की जरूरत है।
🔆जिस तरह व्यक्ति किराए के मकान में रहता है तो उससे बहुत attach नहीं होता क्योंकि उसे पता होता है कि एक न एक दिन तो उसे छोड़ना ही है। ठीक उसी तरह हमारा शरीर है और हमारे प्रियजनों का भी। एक न एक दिन हमें उनसे दूर होना ही है, अगर यह भाव अपनाकर हम जिएँ तो अपने सारे कर्तव्य भी निभा पाएँगे और बुरी से बुरी स्थिति के लिए भी स्वयं को तैयार रख पाएंगे।
🔆हम अक्सर सच्चाई का सामना करने से डरते हैं और जिंदगी के प्रति नजरिया भी Realistic नहीं रखते। हमें जीवन के प्रति सही दृष्टिकोण अपनाते हुए जीना चाहिए जैसे खिली हुई कली में मुरझाए हुए फूलों की कल्पना भी हम करें और उगते हुए सूरज के साथ ही अस्त होते हुए सूरज को भी visualise करें।
🔆 यदि हम हर परिस्थिति का सामना करने के लिए सहर्ष तैयार रहें, तो हम सही मायने में attached detachment को अपनाकर कीचड़ में कमल हो पाएंगे।
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Негізгі бет कीचड़ में कमल बनने के कारगर नुस्खे | Sukh Ki Khoj | 14 Jan 2024 | Muni Veersagar ji Maharaj
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