Katha 35
Isliye Kismat Sath Nahi Deti
01 may 2024
ये जो दास घटना सुनाने जा रहा है
ये सबसे कीमती लीला है मेरी नजरो मे
फतेह सिंह
गांव का जमींदार था ,
बहुत जमीने बहुत पशु पशी
बहुत कुछ है उसके पास जो एक किसी की पास हो सकता है
एक बार पिछले करम कुछ ऐसे आगे आए
एक एक करके सारे पशु मरने लगे
नुकसान पे नुकसान
नुकसान पे नुकसान ,जमीन गिरवी रखनी पड़ी
मकान भी गिरवी , जमीन भी गिरवी
रास्ते पर बैठा है, रास्ते पर , और सोच रहा है के बिखारियो वाली हालत हो गई है
गलती कहा पर हुई mujhse
एक मित्र मिल गया
जो गुरमुख था, कहने लगा सोचने से तेरी तकलीफ खत्म नही हो जायेगी
फतेह सिंह कहने लगा
मुझे लगता है मुझ पर किसी ने कुछ कर दिया है
वो कहने लगा अगर जो भी है
श्री गुरु महाराज जी थोड़ी दूर ही तो बैठे है यहां से
कहने लगा चला जा उनकी शरण में
वो पूर्ण महा पुरुष है
तुझे रास्ता बता देगे
तेरी बीमारी भी बता देगे तेरा इलाज भी बता देगे
जिसने कभी नाम नही जपा
श्री गुरु महाराज जी के पास के रहते हुए कभी दर्शन नही किए
कभी सेवा नही की कभी सिमरन नही किया
आज जब कोई चारा नहीं बचा तो पहुंच गया वहा पर
दुखी मन परेशान मन
महा पुरषों के दर्शन किए सत्संग सुना
मन थोड़ा शांत हुआ
जब सारी संगत रात का सत्संग सुन कर चली गई
ये चरणों में गिर कर जोर जोर से रोज लगा
महात्मा जी कहने लगे
जमींदरा उठ बैठ
बता क्या है है
वो कहने लगा फतेह सिंह काहे का जमींदार
कोई जमीन नही बची कुछ नही बचा
सब कुछ चला गया मेरा
मुझे लगता है मुझ पर किसी ने कुछ कर दिया है
आप कृपा करो
मुझे कोई ऐसा रास्ता बताओ की मेरे सारे सुख मुझे वापस मिल जाए
में रास्ते का बिखारी बनने लायक हो गया हू
महात्मा जी कहने लगे
सेवा कर सुमिरन कर
किसी के करने से कुछ नही होता
सब अपना किया ही काटना पड़ता है
किसी को दोष मत दे तेरे अपने कर्मो का ही दोष है
जो तूने बीजा था आज तुझे काटना पड़ रहा है
और कम से कम आगे ऐसा मत बीजना
की आगे तू और दुखी हो
फतेह सिंह ने हाथ जोड़ लिए ,
हे महा पुरषों कोई तो रास्ता होगा
मेरे सुख मुझे मिल जाए
महात्मजी कहने लगे सेवा कर सुमिरन कर
जैसे जैसे सेवा करता जायेगा
सिमरन करता जायेगा
तेरे पुण्य बड़ते जायेंगे
आहिस्ते आहिस्ते पुण्य बढ़ते जाएंगे
आहिस्ते आहिस्ते तेरे सुख वापस आ जाएंगे
महात्मजी कहने लगे सेवा कर सुमिरन कर
जैसे जैसे सेवा करता जायेगा
सिमरन करता जायेगा
तेरे पुण्य बड़ते जायेंगे
आहिस्ते आहिस्ते पुण्य बढ़ते जाएंगे
आहिस्ते आहिस्ते तेरे सुख वापस आ जाएंगे
फतेह सिंह ने यहां पर बड़े कमाल एक बात की
जो हमारे मन के भी होती है के
महापुरशों - आहिस्ते आहिस्ते नही
कोई शॉर्टकट बताइए
जल्दी हो जाए मेरा काम
जन्मो का काम सालो में हो सकता है
सालों का महीनो मे और महीनो का दिनों में
कोई जुगती बताइए
शॉर्ट कट बताइए
महात्मा जी कहने लगे
शॉर्ट कट है तो सही
जुगती है तो सही पर tu कर लेगा?
फतेह सिंह कहने लगा
जरूर करूगा, बच्चा ही क्या है मेरे पास चारा
आप बताएं तो सही
तब महात्मा जी ने जो बात कही
वो सारी संगत ध्यान से सुनना
कहने लगे
या तो ढोल लेले गले में
या तो एक घंटा ले ले
घंटी होती है न
स्कूल की बजाते है लोग
इस प्रकार की कोई घंटी पकड़ ले
२ बजे उठ जाया कर
डेढ़ २ बजे स्नान करके
घंटी बजते हुए गाते हुए जाया कर
गांव के हर द्वार पर जोर जोर से ये कहा कर
क्या कहना है
उठो Gurumukhon उठो
नाम जपने का समय हो गया है
उठो गुरु प्यारेयो
नाम जपो
फतेह सिंह हाथ जोड़ के कहने लगा
महा पुरषों ये कैसी बात कर रहे हो
सुबह सुबह २ बजे किसी के द्वार पे जाके
घंटी बजाउंगा जोर जोर से चिलाऊंगा
वो तो आके पीटेंगे
गालियां देंगे
फतेह सिंह हाथ जोड़ के कहने लगा
महा पुरषों ये कैसी बात कर रहे हो
सुबह सुबह २ बजे किसी के द्वार पे जाके
घंटी बजाउंगा जोर जोर से चिलाऊंगा
वो तो आके पीटेंगे
गालियां देंगे
Негізгі бет Katha 35 | Isliye Kismat Sath Nahi Deti | 1 May Satsang | SSDN |
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