मां बेटे पै जुल्म करै dada lakhmichand haryanvi kavita kavi sammelan kaviyon ki baat hindi kavita hr
मां बेटे पै जुल्म करै, तू देख राम के घर नै,
पतिभर्ता एक सार जाणती, छोटी-बडी उमर नै ।।
रावण के बेटे की बोडिया, नार सलोचना प्यारी,
पति की भुजा कटी पड़ी महल म्य, रोई दे किलकारी,
अर्थ जुड़ा कै गई दलां मैं, उड़ै सेना जुड़गी सारी,
धर्म के कारण रामचन्द्र नै, हाथ जोड़ पुचकारी,
उस पतिभर्ता के सत के कारण, हांसी छुटी कटे सिर नै 1
पतिभर्ता एक सार जाणती, छोटी-बडी उमर नै
मां बेटे पै जुल्म करै, तू देख राम के घर नै,
सावित्री सत्यवान पति नै, आप ढूंढ कै ल्याई,
वर्ष दिन भीतर मर लेगा, नारद नै कथा सुणाई,
पतिभर्ता का धर्म समझ कै, औटी खूब तवाई,
लकड़ी काटण गये पति जब, कजा शीश पै छाई,
सत के कारण धर्मराज पै, ल्याई छुटा कै वर नै 2
पतिभर्ता एक सार जाणती, छोटी-बडी उमर नै
मां बेटे पै जुल्म करै, तू देख राम के घर नै,
इन्द्राणी-ब्रह्माणी-लक्ष्मी, अनसूईया की भी गिणती,
दमयन्ती-मदनावत हर का, तू जिकर सदा से सुणती,
कौशल्या दशरथ की राणी, सूत रामचन्द्र से जणती,
विषय नै त्यागै भजन मैं लागै, जब पतिभर्ता बणती,
जैसे मीराबाई पार उतरगी, पूज पति पात्थर नै 3
पतिभर्ता एक सार जाणती, छोटी-बडी उमर नै
मां बेटे पै जुल्म करै, तू देख राम के घर नै,
लखमीचन्द जिसे कर्म करै, के भौगे बिना सरै सै,
तेरे केसी बेईमाना का, के बेड़ा पार तरै सै,
डूब गई मां होकै नै, खुद बेटे पै नीत धरै सै,
आगै भी ना पति मिलै जोडी का, जै इसे कर्म करै सै,
नर्क म्य कूंड मिलै कीड़या की, तेरे खाज्यां चूट जिगर नै4
पतिभर्ता एक सार जाणती, छोटी-बडी उमर नै
मां बेटे पै जुल्म करै, तू देख राम के घर नै,
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