वह क्या रहस्य होता है,कौनसा भेद,जिसे एक गुरु अपने शिष्य को जरूर बता देता है,हालाकि उसे पाने मुरीद में भी वह पात्रता तो होनी चाहिए,क्योंकि भव सागर पार उतरवा देने की जिम्मेदारी तो मुरशिद ए कामिल की होती है,लेकिन मुरीद ने भी यह खयाल तो रखना पड़ता है की,वह जिस कर्मो की नाव में बैठा वह कही लोहे की तो नही!! क्योंकि उसे पा कर फिर और तो कुछ पाने को बाकी नही बचता। तो उसी ज्ञान के मुद्दे पर आज की वाइज जो की ज्ञान की गहराइयों को छूने की एक भरसक कोशिश की दिशा को ढूंढती हुई कठिनतम तो है फिर भी इस में प्रेम की बाते जिस प्रकार पिरोई गई है तो उसे सुनने का आप एक आत्मिक आनंद जरूर महेसुस करेंगे।
- Күн бұрын
Murid Ne Kaha Murshid se, Wa Sikhado, ki Aur Kuch Sikhne Ko Na Bache|
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