नल - नील की शक्ति और मुनींद्र ऋषि की कथा | Sant Rampal Ji 2D Cartoon Moral Story | Dharti Upar Swarg,
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नल - नील की शक्ति और रामसेतु का रहस्य 2D Animation,
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पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी त्रेतायुग में मुनीन्द्र ऋषि के नाम से आये हुए थे। कबीर साहेब अपने उद्देश्य को पूर्ण करते हुए अनेको भक्तो के साथ अद्धभुद चमत्कार करते थे।
3. एक दिन मुनीन्द्र ऋषि जी का एक भक्त नल नील के पास चला गया।
B : भाई नल-नील, अगर आप हमारे गुरुदेव मुनीन्द्र ऋषि जी से दीक्षा ग्रहण करके सतभक्ति करो, तो अवश्य ही आपका यह रोग नही रहेगा।
N: भक्त, हमने बड़े-बड़े धर्मगुरुओ से हमारे रोग के निवारण की अर्ज की है, लेकिन सभी अंत मे यही कहते है कि यह आपके प्रारब्ध का कष्ट है, यह भोगने से ही समाप्त होगा। इसलिए हमें अब कोई आशा नही है।
B : भाई मुनीन्द्र ऋषि जी सामान्य ऋषि नही है, उनकी रजा से कई व्यक्तियों को जीवन दान तक मिला है। उन्हें स्वयं परमेश्वर का ही अवतार मानो।
4. नल नील ने सोचा कि हम इतने भटक चुके हैं तो एक बार मुनीन्द्र ऋषि के पास भी अपनी परेशानी के निवारण हेतु कोशिस कर लेते है।
N : ठीक है भक्त भाई। हम एक बार वहां चलकर भी देख लेते है। कहां रहते है मुनींद्र ऋषि जी?
B: चलो भाई में आपके साथ चलता हूं।
दोनों मुनीन्द्र ऋषि जी के आश्रम में पहुंचे और परमात्मा के चरणों मे गिरकर रोने लगे।
मुनीन्द्र ऋषि ने अपना आशीर्वाद भरा हाथ उनके सिर पर रखा तो उनका रोग उसी वक्त समाप्त हो गया। दोनो बहुत खुश हुए और परमात्मा को अपनी सारी कहानी बताई।
N : हम तो धन्य हो गए भगवन, आपके शिवाय हमारा दर्द कोई नही समझ पाया, और अब हम बिल्कुल स्वस्थ है।
G: बेटा ये तो क्षणिक लाभ है, पूर्ण परमेश्वर की सतभक्ति ग्रहण करो ताकि आपको यहाँ के सभी कष्टों से निजात मिले।
N: अवश्य भगवन, हमारा जीवन तो आप ही की देन है। हमे सत भक्ति प्रदान कीजिए मालिक।
दोनो ने मुनीन्द्र ऋषि जी से दीक्षा ग्रहण की।
5. नल नील बहुत खुश थे और ज्यादा से ज्यादा सत्संग सुनने लगे और गुरुदेव की सेवा करने लगे।
G: बेटा आश्रम में बुजुर्ग असहाय भक्तो की सेवा किया करो। बुजुर्ग भक्त की सेवा बहुत पुण्यमय का काम होता है।
N: जो आज्ञा गुरुदेव।
दोनों भक्त बडी ही लगन के साथ बुजुर्गो की सेवा करने लगे, क्योंकि उन्हें तो परमेश्वर ने एक नया जीवन दान दिया था।
नल नील भक्तो के वस्त्र तथा बर्तन निकट ही बह रही नदी में धोने के लिए ले जाया करते थे। दोनो वस्त्रो तथा बर्तनों को नदी में भिगो कर परमात्मा के द्वारा किए समाधान ओर ज्ञान की चर्चा करने लग जाते।
N: भाई अगर हमे परमात्मा न मिलते तो पता नही हम बच भी पाते की नही।
N: हां भाई, सच कह रहा हूं में तो जिंदगी से तंग आ चुका था। आत्महत्या करने वाला था।
वहाँ उन्हें कई घंटे बीत जाते। उधर नदी में कभी कभी की तेज लहरो में भक्तो के कुछ कपड़े और बर्तन बह जाते। उन्हें इस बात का ध्यान नही रहता। दोनो बहुत भोले भक्त थे।
6. आश्रम में किसी को अपने कपड़े नही मिलते तो किसी को अपना बर्तन। कुछ दिनों तक ऐसा ही चलता रहा।
OB : भाई भक्तों, आप ये सेवा रहने दो। हम परेशान हो रहे हैं बेटा। आपको ये पता भी नही रहता की हमारे कपड़े और बर्तन आप खो देते हो।
N : क्षमा करो भगजीओ, आगे से हम ध्यान रखेंगे।
दोनो भोले भक्त, कपड़ो को पानी में पत्थरों से दबाकर रख देते थे, लेकिन फिर भी कपड़े तेज बहाव में बह जाते थे।
N: नल भाई, कल भगवान ने क्या ज्ञान सुनाया था। में तो गदगद हो गया। इस काल लोक में हम कितना कष्ट उठा रहे है लेकिन फिर भी भगवान को नही समझ पा रहे है।
दोनो की इस प्रकार की ज्ञान चर्चा में उन्हें वक्त के गुजर जाने का पता ही नही चलता।
OB: बेटा नल-नील कल आपने फिर मेरा अंगोछा खो दिया। आप ध्यान नही रखते बेटा।
N: ऐसी बात नही है भगत जी, हम पूरा ध्यान रखेंगे।
बुजुर्ग भक्तो ने अपने गुरुदेव मुनीन्द्र जी से समश्या बताई।
OB: भगवन आप ही उन्हे समझाइए, हम रोज अपने कपड़े खो रहे है।
परमेश्वर ने नल नील को बुलाया।
G : बेटा आप यह सेवा रहने दो। सब परेशान हो रहे हैं।
इस बात पर दोनों रोने लगे।
N : नही गुरुदेव, आगे से ऐसी गलती नही होगी, हमारी सेवा मत छीनो मालिक।
दोनो को डर था की अगर सेवा ही नही मिल पाई तो हम पर वही समस्या वापस न आ जाए।
OB: गुरुदेव, इनके बस की बात नही है, ये हर बार ऐसा ही बोलते है, लेकिन वहां जाकर न जाने क्या चर्चा करते लग जाते है।
नल नील भावुक हो गए, और बहुत दुखी हो गए।
7.
G : कोई बात नही बेटा, अब आराम से सेवा करो। आज के बाद कोई वस्त्र या बर्तन नही बहेगा। तुम्हे आर्शीवाद देता हूं कि तुम्हारे हाथों से रखा गया पत्थर भी, पानी मे ना ही बहेगा ओर ना ही डूबेगा।
नल नील की खुशी का ठिकाना नही रहा।
नदी के किनारे जाकर अपनी शक्ति को आजमाने लगे। दोनो ने वस्त्र पानी मे डुबोकर छोड़ दिया तो वस्त्र वही का वही रहा। उन्होंने पत्थर भी रखा तो वह भी पानी पर तेरने लगा। दोनो बहुत खुश थे तथा ज्यादा से ज्यादा सेवा करने लगे।
परमेश्वर ने अपने भक्तों को यह शक्ति दी।
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