lyrics
मलियागिरी से हिमालय की चोटी से, भोले नाथ की असवारि चली आ रही है।।
1.कैलाश वासी हैं अविनाशी, तिरलोचना की ज्योति है प्रकाशी।
हाथों में आरती है ओर फूल माला है, अमीया दर्शन अभिलाषी चली आ रही है।।
2.डम-डम डमरू की ध्वनि सुना दे,भोली सी शंकर अपनी सुरत दिखा दे।
कटी मृग छाला और गल मुंड माला है,जटाओं में गंग की धारा बही जा रही है।।
3.भक्तों को त्यारे असुरों को मारे , हमारे सहारे भोले दीनो कें प्यारें।
जल और थल आकाश मंडल से, महादेव की असवारी चली आ रही है।।
4.ब्रह्मा को चारों वेद पठाए, दुनिया को सचा शिव जी ज्ञान बताए।
ऋषि मुनियो ने भोले ध्यान लगाया है, शंकर के चरणों में दुनिया झुकी जा रही है।।
॥समाप्त॥
Негізгі бет पुराना भजन - भोले नाथ की असवारी चली आ रही हैं by Gomji Pujari
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