@DugDugiRajesh
थानो से लेकर धारकोट की ओर आगे बढ़ जाओ या फिर भोगपुर से इठारना की ओर, नये निर्माण दिख जाएंगे। हरियाली पहले जैसी नहीं रही। छोटी से लेकर बड़ी इमारतें तक पहाड़ पर जन्म ले रही हैं। जहां कभी फसलें लहलहाती थीं, वहां प्लाटिंग हो रही है। सूर्याधार गांव इसका बड़ा उदाहरण है। तेजी से होते इस कथित विकास की कीमत उन लोगों को भुगतनी पड़ रही है, जिनका इसमें कोई दोष दिखाई नहीं पड़ता।
क्लाइमेट चेंज यानी जलवायु परिवर्तन, सीधे सपाट शब्दों में समझें तो समय पर बारिश नहीं होना, बर्फ नहीं पड़ना या ज्यादा गर्म या फिर ज्यादा सर्द हो जाना। पर, फसल का जो चक्र निर्धारित है, उसको तो अपने हिसाब से मौसम चाहिए। फसल को अपने समय अनुसार जलवायु चाहिए, जो उसको नहीं मिल रहा। इन सबका खामियाजा किसान भुगत रहे हैं, खासकर छोटे किसान जो दो या तीन बीघा वाले हैं, क्योंकि उनका सबकुछ इसी पर निर्भर है।
डुगडुगी की टीम रानीखेत गांव की यात्रा पर है, पर यह अल्मोड़ा वाला रानीखेत नहीं है। हम जा रहे हैं देहरादून वाले रानीखेत में। प्राकृतिक रूप से बहुत सुंदर है रानीखेत गांव। यहां जाने के लिए पहले आपको देहरादून से थानो और फिर धारकोट वाले रास्ते पर चलना होगा। धारकोट से ठीक एक किमी. पहले रानीखेत गांव का रास्ता है। आइए आपको बताते हैं, दिनरात हो रहे निर्माण, पेड़ों के कटान से यह गांव दिक्कतों से जूझ रहा है, सुनिए इस गांव की कहानी का भाग- एक...
Негізгі бет Ranikhet Village, Dehradun। निराश क्यों है रानीखेत जैसा सुंदर गांव
Пікірлер