ब्रह्मा, विष्णु और महेश के संयोजन से बनी हुई, 10 महाविद्याओं की अधिष्ठात्री देवी है, समस्त प्रकार की तंत्र बाधाओं को समाप्त करके, भय, रोग, दुख, शोक का नाश करने वाली और धन, ऐश्वर्य, भोग, मोक्ष प्रदान करने वाली ब्रह्मांड की एकमात्र देवी हैं, मां ललिता त्रिपुर सुंदरी।
मां के 8 वर्षीय बालिका स्वरूप को मां त्रिपुर सुंदरी, 16 वर्षीय 16 कलाओं से परिपूर्ण स्वरूप को मां षोडशी और युवा स्वरूप को मां ललिता त्रिपुर सुंदरी के नाम से जाना जाता है।
राजसत्ता प्रदान करने वाले स्वरूप को मां राजराजेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है।
तंत्र शास्त्र में इन्हें श्री विद्या के नाम से भी जाना जाता है।
मां के 1000 नामों का संकलन ललिता सहस्त्रनाम में है, जो मां की महिमा का वर्णन करने वाला एक प्रमुख ग्रंथ है, ललिता सहस्त्रनाम की रचना 8 वाक देवियों के द्वारा की गई है, ललिता सहस्त्रनाम के अलावा अन्य सहस्त्रनाम की रचना महर्षि वेदव्यास के द्वारा की गई है।
आदि शंकराचार्य के द्वारा रचित सौंदर्य लहरी और तंत्र सार में भी मां की महिमा का वर्णन मिलता है।
मां त्रिपुर सुंदरी बहुत ही सहृदय और उदार हैं और अपने भक्तों का उद्धार, कल्याण करने हेतु सर्वदा तत्पर हैं।
10 महाविद्याओं में से सिर्फ मां त्रिपुर सुंदरी ही भोग और मोक्ष दोनों प्रदान करती हैं हैं अन्य देवियां या तो भोग प्रदान करती हैं या मोक्ष।
मां ललिता त्रिपुर सुंदरी राजराजेश्वरी की आराधना, स्तुति और प्रार्थना के उच्चारण और श्रवण मात्र से ही भक्तों और साधकों का सर्वदा कल्याण होता है साथ ही अनंत जन्मों के पापों, दोषों, कष्टों का शमन भी होता है ।।
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