उपनिषदों के अनुसार, उन्हें निराकार, निर्गुण और सर्व्यापी माना जाता है। उपनिषदों में उनका उल्लेख वाणी, मनसा, चक्षुषा और श्रवणेन्द्रिय रू्प में होता है। शिव को विग्यान का प्रतीक माना जाता है जो हमें सत्य और अनंतता की प्राप्ति कराता है।
शिव उपनिषदों में मन, विज्ञान, आत्मा और आनंद का प्रतीक है। उनका ध्यान, तपस्या और समाधि करने से मन को नियंत्रित करके मनुष्य को उच्चतम आनंद की प्राप्ति होती है। शिव उपनिषदों में आत्मा के साक्षात्कार और परम ज्ञान के माध्यम से मोक्ष की प्राप्ति का वर्णन भी है। इस प्रकार, उपनिषदों के अनुसार, शिव अपार, निरंतर और आत्मीय अस्तित्व का प्रतीक हैं। उन्हें सर्वव्यापी, अद्वैतीय और परमात्मा के रूप में प्रतिष्ठित किया गया है।
शिव उपनिषदों में उच्चतम आत्म-ज्ञान की प्राप्ति के मार्ग को समझाते हैं और मनुष्य को आध्यात्मिक सिद्धि और आनंद की प्राप्ति का मार्ग प्रदान करते हैं।
वेदों के अनुसार, भगवान शिव को ईश्वर' और 'महादेव के रूप में प्रशंसा की गई है। उन्हें ब्रह्मा, विष्णु और रुद्र त्रिमूर्तियों में से एक माना जाता है। शिव को सृष्टि, संहार और पालन का सर्वोच्च देवता माना जाता है। वेदों में उनका वर्णन तेजोमय और विशाल आकार, त्रिशूल और नागों की माला सहित होता है। शिव वेदों में संगीत, कला, तांत्रिक साधना और ध्यान का प्रतीक हैं।
शिव को वेदों में निःशब्द और अद्वैतीय आत्मा का प्रतीक भी माना जाता है। उन्हें 'आदियोगी' और 'ध्यानेश्वर' के रूप में विभाजित किया जाता है। वेदों के अनुसार, शिव अनंत शक्ति और ज्ञान का प्रतिपादक हैं। उनके प्रमुख धार्मिक प्रचारक विश्वामित्र, गौतम बुद्ध, शंकराचार्य और रमानुजाचार्य रहे हैं।
शिव की उपासना और आराधना से उन्हें मुक्ति और आनंद की प्राप्ति होती है।
वेदों के प्रमाणों के आधार पर, शिव ब्रह्मांड के सर्वशक्तिमान और अनन्त सत्य का प्रतिपादन करते हैं। वे सभी जीवों के अंतरात्मा हैं और सबका पालन करने के लिए सम्पित हैं। शिव अनंत और अर्वैतीय होने के कारण मनुष्यों की आत्मा को उनकी उपासना और साधना के माध्यम से समझा जा सकता है। शिव वेदों में सर्वव्यापी और परमेश्वर के रूप में
प्रतिष्ठित हैं।
ॐ नमः शिवाय।।
ॐ शान्ति विश्वम।।
Негізгі бет According to the Upanishads, who is Shiva? | उपनिषदों के अनुसार, शिव कौन हैं?
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