बान बिठावण लागी dada mangeram कृष्ण जन्म haryanvi kavita कवि सम्मेलन kaviyon ki baat किस्सा कृष्ण जन
सखी मिल कै सारी बान बिठावन लागी,
तेल चढावण लागी,
उस क्षत्री के लाल पै - टेक
खाती का ल्याया पाटड़ा घड़कै,
सहेली कट्ठी होगी जुड़कै,
मुड़तुड़ कै सारी गर्दन मोड़ण लागी,
चौगरदे नै दौड़ण लागी,
मुरगाई ज्यूं ताल पै ।।11
उस क्षत्री के लाल पै
सखी मिल कै सारी बान बिठावन लागी,
तेल चढावण लागी,
सहेली चाल पड़ी रल मिल,
मारै ऐड़ छात सी दलकै,
हंस खिलकै नै मटकण लागी,
फेर घूंघट नै झटकण लागी,
मरवट चित्या गाल पै 1121
उस क्षत्री के लाल पै
सखी मिल कै सारी बान बिठावन लागी,
तेल चढावण लागी,
आसरा ले रही पणमेश्वर का,
जोबन ढूह मररया केसर का,
बेसर का ले रहया था चाँद उजाला,
थोड़ा सा था बीच बिचाला,
तोता ज्यूं बैठा डाल पै ।।3।
उस क्षत्री के लाल पै
सखी मिल कै सारी बान बिठावन लागी,
तेल चढावण लागी,
लखमीचन्द बात सही थारी,
करणा-खाणा कर्म की यारी,
कोये कंवारी, कोय ब्याही बिन घाली,
सारी ए अपने घर नै चाली,
घोड़ी ज्यूं छुटी चाल पै ।।4।
उस क्षत्री के लाल पै
सखी मिल कै सारी बान बिठावन लागी,
तेल चढावण लागी,
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