आज हम भैरव साधना की बात करते है।
अनेक साधक भैरव को शिव का अवतार मानते हैं। दार्शनिक दृष्टि से यह कथन उसी प्रकार का है, जिस प्रकार राम को विष्णु और रुद्र को शिव का रूप समझना। इस दृष्टिकोण से प्रत्येक साधक शिव हैं और प्रत्येक साधिका भगवती। गुण की दृष्टि से भैरव, शिव की प्रचण्ड शक्तियों के नायक हैं। इन्हें उनके गुणों का नायक माना जाता है। इनका रूप बड़ा भयंकर है; किन्तु यह स्मरण रखना चाहिए कि जीव में स्थित यह गुण भी कार्यसिद्धि एवं मनोनुकूल प्राप्ति में सहायक सिद्ध होता है। ब्रह्मांड में इनकी व्यापक सत्ता है। सन्तान, हड्डी, बाल, दाँत, केतु ग्रह, मानसिक शक्ति, अस्तित्व कड़ापन इनके कारण अस्तित्व में आता है। इनके अनेक रूप हैं। जैसे-काल-भैरव, रुद्र-भैरव, बटुक-भैरव आदि। इन सभी में साधारण गुणात्मक अन्तर है।
सामग्री - भैरव तामसी गुणों के प्रतीक हैं। इन्हें मांस, मदिरा, चावल, तिल, घी, धूप, दीप, कनेर के पुष्प, जायफल, जावित्री, भैंस के दूध का दही, घृत, चीनी, खीर, स्त्री के बाल, बेलपत्र, आंवला, गन्ने का रस, गोमूत्र आदि का हव्य दिया जाता है।
इन्हें लाल रंग पसंद है। लाल आसन, लाल चंदन, लाल पुष्प, सिंदूर, रक्तफल पूजन में प्रयोग करना चाहिए।
मंत्र -
ओम हुं शं नमं समं खम महाकाल भैरवाय नमः।
शांतं पद्मासनस्थं शशि मुकुटधरं मुंडलालं त्रिनेत्रं । शूलं खड्गं च वज्रं परशुमूमलके दक्षिणांगे वहंतम् ॥ नागं घंटां कपालं नलिनकरयुतं सांकुशं पाशमंये, नानालंकारयुतं स्फटिकमणिनिभं नौमिबालं शिवाख्याम् ॥ ओम हं षं नं कं सं खं महाकाल भैरवाय नमः ।
विधि - इनकी साधना अर्द्धरात्रि में काली की साधना की भांति श्मशान में जाकर करनी चाहिए। हवनकुंड में उपर्युक्त हव्य सामग्रियों का अर्पण करें। 1188 मंत्र प्रतिदिन जाप करने पर इनकी सिद्धि 21 दिन में होती है। साधना के समय त्राटक में इनका ध्यान बनायें रखें।
फल - भैरव-साधना से सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं। व्यक्तित्व में प्रभाव, दृष्टि में सम्मोहन, ललाट में वशीकरण विद्या का वास होता है। शरीर में असाधरण बल उत्पन्न होता है।
वामाचारी साधनाओं के मुख्य देवी-देवता यही हैं। हमने इनकी साधना की अत्यन्त सरल विधि बतायी है। त्राटक साधना योग की साधना है। तंत्र में इसका प्रयोग करने से विलक्षण सफलता प्राप्त होती है। तांत्रिक वाम साधनाओं की शास्त्रीय विधि अत्यन्त दुष्कर है, इस कारण हमने शास्त्री विधि का वर्णन नहीं किया है। सामान्य साधकों को इसमें कोई लाभ नहीं है। किन्तु उनकी कुछ क्रियाओं का वर्णन यहां समीचीन होगा।
का A) काली B) तारा C) छिन्नमस्ता C) धूमावती C) त्रिपुरभैरवी D) त्रिपुरसुन्दरी
साधनायें श्मशान में नग्न होकर की जाती हैं। अनेक तांत्रिक शवसाधना करते हैं। इस अवसर पर मदिरा, मांस आदि का नैवेद्य चढ़ाया जाता है। इसी का हव्य भी दिया जाता है। विभिन्न पक्षियों के पंख, नख आदि का प्रयोग किया जाता है। खोपड़ी, बंदर की हड्डी आदि भी साधना में प्रयुक्त होते हैं। आगे वर्णित तांत्रिक क्रियाओं में मैंने इनके प्रयोगों का वर्णन
किया है, क्योंकि ये सिद्धियों के भौतिक फल प्राप्त करने की क्रियायें हैं।
उनके बिना काम नहीं चलता; किन्तु शक्तिसिद्धि में मूलतत्व ध्यान की
एकाग्रता है। यह एकाग्रता उसी भाव में हो; इसीलिए प्रतीक प्रतिमा और मंत्र का प्रयोग किया जाता है। अतः इसमें सात्विक क्रियायें भी सफल होती हैं।
वाममार्ग की व्याख्या हम पूर्व ही कर आये हैं। मातृशक्ति के पुजारियों (शैवमार्गी समुदाय) में इसी पूजा पद्धति की महत्ता है। आज आर्यावर्त में जिस धर्म का आचरण समाज में दिखायी पड़ता है, वह वैदिक धर्म और शैवधर्म का मिला-जुला रूप है। यह मिलाप सती की आत्महत्या के पश्चात् हुआ और शैवमत की शक्ति-देवियों की पूजा भी वैदिक पद्धति से की जाने लगी। आज यही पूजा पद्धति समस्त आर्यावर्त्त में स्थापित है।
किन्तु, वास्तविक वाममार्ग की पूजा, पद्धति सर्वथा भिन्न है। इसके सिद्धांत भी बड़े विचित्र हैं। यह पूजा-पद्धति वैदिक रूप से संगठित समाज की नैतिक मान्यताओं के सर्वथा विपरीत है, इसलिये यह सामाजिक नहीं है; परन्तु कभी यह भी सामाजिक थी, क्योंकि इससे अनुयायियों के समाज का गठन इसी प्रकार था। उस समय भी यह पूजा-पद्धति सार्वजनिक नहीं थी अपितु केवल साधक-साधिकाओं के प्रयोग में थी, तथापि इसकी जानकारी समाज को थी और पूजा को एवं पूजा करने वालों को आदर की दृष्टि से देखा जाता था।
ज्योतिष, तंत्र और वास्तु तीन प्राचीन भारतीय प्रथाएं हैं जो अभी भी आधुनिक दुनिया में व्यापक रूप से उपयोग की जाती हैं। वे इस विश्वास पर आधारित हैं कि ब्रह्मांड ऊर्जा से बना है जिसे व्यक्तिगत विकास और भलाई के लिए उपयोग और उपयोग किया जा सकता है।
ज्योतिष विज्ञान खगोलीय पिंडों की गति और सापेक्ष स्थिति और मानव मामलों और प्राकृतिक घटनाओं पर उनके प्रभाव का अध्ययन है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार व्यक्ति के जन्म के समय सितारों और ग्रहों की स्थिति का उसके जीवन और व्यक्तित्व पर गहरा प्रभाव पड़ता है। ज्योतिष इस विचार पर आधारित है कि ब्रह्मांड परस्पर संबंधित ऊर्जाओं का एक जटिल जाल है और यह कि ज्योतिषीय संकेतों और प्रतीकों का उपयोग व्यक्तियों के जीवन में घटनाओं को समझने और भविष्यवाणी करने के लिए किया जा सकता है।
तंत्र एक आध्यात्मिक अभ्यास है जिसमें शरीर के ऊर्जा केंद्रों को जगाने और संतुलित करने के लिए ध्यान और दृश्य तकनीकों का उपयोग करना शामिल है। ऐसा माना जाता है कि यह शारीरिक और आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाने, खुशी को बढ़ावा देने और दूसरों के साथ अपने संबंधों को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। तंत्र योग और अन्य आध्यात्मिक प्रथाओं के तत्वों को भी शामिल करता है, और अक्सर लोगों को भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक कठिनाइयों को दूर करने में मदद करने के लिए आध्यात्मिक उपचार के रूप में उपयोग किया जाता है।
Негізгі бет भैरव-साधना
Пікірлер