श्री कृष्ण भगवान #dada Debi datt #हरनंदी भात #kaviyon ki baat #Kavi sammelan #Haryanvi kavita harya
सुण्यकै श्रीकृष्ण जी की बात नै,
लगी रुकमणि करण रसोई ।
उस महामाया नै महाप्रभु का वचन मान्य लिया स्याणा करके
शुद्ध-पवित्र शरीर बणा लिया निर्मल जल से न्हाणा करके
फेर धोती बांध्य लगी करण रसोई पतिव्रता का बाणा करके
लोक-लाज पतिव्रत धर्म में वा पति की ताबेदार पायी
बड़ी रसाईघर में रुकमणि हर वस्तु तैयार पायी
रुकमणि कहो चाहे कहो लक्ष्मी वा भोजन में होश्यार पायी
देखकै रुकमणि की करामात नै,
वे मुस्कराण लगे मनमोही।
सुण्यकै श्रीकृष्ण जी की बात नै,
लगी रुकमणि करण रसोई ।
शबरी की भाँति रुकमणि रसोई लगी वणावण प्यार करकै
बेड़मी कचोरी पूरी पापड़ मजेदार करकै
फेर हलुवा और खीर बणा दिया बीच में केशर डार करके
लड्डू मोतीचूर के जो देवताओं के
पूजण जोग
आदि से अन्त तक जिनको शुभ मानते ब्राह्मण लोग
भरे हुए प्रमल पेड़े रस मलाई राज भोग
किमै था जस रुकमणि के हाथ नै,
किमै देशी की खुशबोई ।
सुण्यकै श्रीकृष्ण जी की बात नै,
लगी रुकमणि करण रसोई ।
यहाँ की बातें यहाँ पर छोड़ो नाई के के सुणो हालात
बोल्या ठीकै ना आवै थी सेठाणी जूनागढ़ न्योंतण भात
आड़ै चूल्है आग ना पैंहडै पाणी फूटा मन्दिर जो जो झात
जिनके से हाथ में काम वे हे तै करेंगे भाई
आचार-विचार ठीक हों जिनके उनके काज सरैंगे भाई
ये सुल्फा पी रहे लोट राख में कित का भात भरेंगे भाई
कहूँगा सेठां की पंचायत नै,
तुमनै या के अस्नाई टोही ।
सुण्यकै श्रीकृष्ण जी की बात नै,
लगी रुकमणि करण रसोई ।
फेर खाणे नै भोजन ले कै पोंहचंगे नन्दलाल
समदर्शी के चरण फिरे मन्दिर का बदलग्या हाल
धन-माया के ढेर पड़े जड़ में धरे हीरे-लाल
बिना ज्ञान कूण परख सकै सै पणमेसर की छवि भाई
बहोत दूर अस्थान बतावैं जितने शशि रवि भाई
देबीदत्त कहै उन्हतैं भी आगे पहोंचज्या सै कवि भाई
सुण्यकै उन महापुरुषाँ के ख्यालात नै,
तनै तै या बृथा एक जीभ बिलोई
सुण्यकै श्रीकृष्ण जी की बात नै,
लगी रुकमणि करण रसोई ।
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