सबसे सस्ता इन्सान gyani Ram Shastri हरियाणवी कविता latest Kavi sammelan इन्सान kaviyon ki baat hindi
दुनिया म्हं महंगा होग्या सब जिंदगी का सामान
सब तै सस्ता मिलै आज यू बद किस्म्त इंसान
मरा पड्या हो पास पड़ौसी कतई नहीं अफसोस
समो समो के रंग निराले नहीं किसे का दोष
कार लिकड़ज्या ऊपर तै कर दूजे नै बेहोश
खा माणस नै माणस कै फिर भी कोन्या संतोष
खून चूसते नौकर का यें मालिक बेईमान
सब तै सस्ता मिलै आज यू बद किस्म्त इंसान
दुनिया म्हं महंगा होग्या सब जिंदगी का सामान
माणस की ना कदर करैं ये साहूकार अमीर
दूजे की मेहनत पै अपनी बणा रहे तकदीर
हालत देख लुगाई की भरज्या नैनां में नीर
भूखी मरैं आबरु बेचैं गहणै धरैं शरीर
लाल बेच दें गोदी का सै भूख बड़ी बलवान
सब तै सस्ता मिलै आज यू बद किस्म्त इंसान
दुनिया म्हं महंगा होग्या सब जिंदगी का सामान
पढ़े लिख्यां की पूछ रही ना फिरैं घणे बेकार
आत्महत्या करैं कई छोड्ड़े फिरते घर बार अ
माणस खींच रहया माणस नै आज सरे बाजार
आज मनु का पूत लाड़ला रौवे किलकी मार
अपने पैरें आप कुहाड़ी मार रहया नादान
सब तै सस्ता मिलै आज यू बद किस्म्त इंसान
दुनिया म्हं महंगा होग्या सब जिंदगी का सामान
खून, जिगर बिकते माणस के बिकते हाड्डी चाम
जिंदगी लग भी बिकज्या सै जै मिलज्यां चोखे दाम
सब तै बड़ा बताया था बेदां म्हं माणस जाम
“ज्ञानी राम इस कळियुग म्हं हो ग्या सबतै बदनाम
पता नहीं कित पड़ सोग्या पैदा करके भगवान
सब तै सस्ता मिलै आज यू बद किस्म्त इंसान
दुनिया म्हं महंगा होग्या सब जिंदगी का सामान
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