आत्मा नहीं सताया करते lakhmichand भगत पूरणमल kaviyon ki baat कवि सम्मेलन kavita हरियाणवी कविता sono
आत्मा नहीं सताया करते, अपणे के-सी ज्यान करकै,
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
राणी :-
टूटैगी जै घणी खिचज्यागी, बचण की चीज आप बचज्यागी,
तेरे होठां पै लाली रचज्यागी, खाले देसी पान करकै !! 1 !
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
पूर्ण:-
मौसी ईश्वर में चित लाले, बिगड़या जा सै धर्म बचाले,
बेटा कहकै पास बिठाले, मेरे पै एहसान करकै !!2!
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
राणी :
सारे बोल कहैं सैं लिटटे, दोनूं होठ पहर भर पीटटे,
मेरै लागै तेल के-से छिटटें, तू समझावै ज्ञान करकै !!3!
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
पूर्ण:-
जग प्रलय म्य के कसर रहै सै, जब मां बेटे नै खसम कहै सै,
आड़ै ज्ञान गंग की धार बहै सै, क्यों ना खुश होले अस्नान करकै4
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
राणी :-
रंग भररया केले के-सी गोभ मै, बारूद भररी जाणू तोब मै,
मेरे मात-पिता गये डूब लोभ मै, शंखपति सलेभान करकै 5
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
पूर्ण:-
जै मां कायदे तै घटज्यागी, डोर तेरे हाथां तै छुटज्यागी,
दुनिया में डुन्डी पिटज्यागी, सुन लिए मौसी कान करकै !!6!
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
राणी :-
जाणै कित किस्मत पड़ सोगी, होणी मार्ग में कांटे बोगी,
तनै देखकै बेकाबू होगी, चन्द्रमा की शान करकै !!7!
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
पूर्ण:-
गुरू मानसिंह छन्द नै घड़ज्या, मौसी तूं शुभ कर्मां पै अड़ज्या,
सतगुरू के पायां म्य पड़ज्या, पक्का एक इमान करकै !!8!
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
राणी :-
लखमीचन्द कायदे तै नहीं घटूंगी, मैं वचनां तै नहीं हटूंगी,
पूर्णमल तेरा नाम रखूंगी, त्रिलोकी भगवान करकै !! 9 !
भाईया की सूं मान कहे की, के लेगा नुकसान करकै ।।
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