त्रिया चिलत्र haryanvi kavita कवियों की बात Kavi gandhrw nand Lal sonotak Kavi sammelan kavita harya #kavi #kaviyon #haryanvi #motivation #kavisammelan #kavita #poetryevent #motivational #dada #lakhmichand
उपदेशक भजन- त्रिया चिलत्र
मिनटा के म्ह हंसै, मिनट मै, रो लुगाई दे
बणी हुइ माणस की इज्जत नै, खो लुगाई दे ।। टेक ।।
लागज्या सख्त मर्म की चोट, मर्द उसको भी ले सकता ओट,
हो मामूली सा खोट ,उलाहने सौ लुगाई दे,
बिना बात का झूठा, झगडा झौ लुगाई दे।।
बणी हुइ माणस की इज्जत नै, खो लुगाई दे
मिनटा के म्ह हंसै, मिनट मै, रो लुगाई दे
फर्क नही कोई बात मै, रंग बदल दे स्यात् मै,
छेड छेड़ कै गात नै ,जगा छौ लुगाई दे,
एक बै हंस के बोलै, कह हां औ लुगाई दे ।।
बणी हुइ माणस की इज्जत नै, खो लुगाई दे
मिनटा के म्ह हंसै, मिनट मै, रो लुगाई दे
रोम रोम भरया छ्ल के अंदर, चकमक रहता जल के अंदर,
स्वर्ण का पल के अंदर, कर लौह लुगाई दे,
ना जाण देवता सकै, इसा भर धौ लुगाई दे।।
बणी हुइ माणस की इज्जत नै, खो लुगाई दे
मिनटा के म्ह हंसै, मिनट मै, रो लुगाई दे
बिना काम मचा दे रौले, पल म्ह वस्त्र कर ज्या धौले,
झूठे मणीये ओले सोले, पौ लुगाई दे,
भाई मरज्या कटकै, बिघन बौ लुगाई दे।।
बणी हुइ माणस की इज्जत नै, खो लुगाई दे
मिनटा के म्ह हंसै, मिनट मै, रो लुगाई दे
त्रिया चलत्र क्या हो सकता, ना नन्दलाल भेद टोह सकता,
ना मर्दा पै हो सकता, कर जो लुगाई दे,
बणै शूली तै दुःख बुरा, राम जै दो लुगाई दे।।
बणी हुइ माणस की इज्जत नै, खो लुगाई दे
मिनटा के म्ह हंसै, मिनट मै, रो लुगाई दे
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