“कोई भी युद्ध नहीं चाहता, लेकिन अगर सच में युद्ध होता है, तो हम तैयार होंगे.”
नाटो सदस्य यूक्रेन के खिलाफ रूस के आक्रामक युद्ध को गंभीरता से देख रहे हैं, खासकर वो जो इस गठबंधन के पूर्वी फ्रंट पर हैं. वो रूसी सीमा के पास जर्मन सैनिकों के साथ एकजुट हो रहे हैं.
नाटो युद्ध समूह लिथुआनिया कहे जाने वाले इस अभ्यास में जर्मनी एक अगुआ देश या "रूपरेखा तैयार करने वाले राष्ट्र" की भूमिका में है. अपने सहयोगी देशों के साथ जर्मन सेनाएं रूसी सीमा के पास "अग्रिम मोर्चे पर" मौजूद हैं. वो किसी भी संभावित घुसपैठ के खिलाफ नाटो के पूर्वोत्तर फ्रंट की सुरक्षा में जुटे हैं और यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि बाल्टिक देशों को संकट के समय में सहायता दी जा सके और ज़रूरत पड़े तो संघर्ष में भी साथ दिया जा सके.
2023 के वसंत में जर्मन सेना रुकला और पब्रेडे सहित कुछ अन्य जगहों पर युद्ध अभ्यास कर रही है. वहां वो क्रोएशिया, चेक गणराज्य और नीदरलैंड की नाटो सहयोगी सेनाओं के साथ अभ्यास कर रही है, ताकि बाल्टिक देशों पर रूसी हमले की स्थिति से निपटा जा सके.
नाटो के सिद्धांत "जैसा युद्ध वैसा अभ्यास" पर पूरी तरह अमल करते हुए ये सभी एक वास्तविक खतरे को ध्यान में रखते हुए अभ्यास और प्रशिक्षण कर रहे हैं. जर्मन सैनिक टुकड़ी के कमांडर कर्नल वोल्फगांग श्मिट, बाल्टिक में विशेष ऐतिहासिक महत्व और कथित संकट के बारे में जानकारी साझा करते हैं. वह कहते हैं, "ऐतिहासिक अनुभव की वजह से, निश्चित तौर पर संभावित हमले की धारणा - चाहे वह रूसी हो या बेलारूसी - जर्मनी की तुलना में यहां कहीं अधिक तीव्र है." साथ ही वह कहते हैं कि हर किसी ने इस बात को अभी नहीं समझा है कि हमारी आधुनिकता, सोचने की आज़ादी, अभिव्यक्ति की आज़ादी जैसे तमाम ऐसे मूल्य जिन्हें हम पश्चिमी आदर्श मानते हैं, उन्हें बचाने की शुरुआत यहीं से होती है. श्मिट कहते हैं कि एक साल से यूक्रेन अपने रूसी हमलावरों की तुलना में कहीं अधिक लड़ रहा है और वह "हमारी आज़ादी" की भी रक्षा कर रहा है.
यह डॉक्यूमेंट्री रिपोर्ट "ग्रिफिन लाइटनिंग" नामक एक प्रमुख सैनिक अभ्यास को दिखाती है. डच सशस्त्र बलों के साथ एक प्लाटून कमांडर, बहुराष्ट्रीय बलों के बीच युद्धाभ्यास और सहयोग के महत्व पर जोर दे रहे हैं. फर्स्ट लेफ्टिनेंट बेंट एस. कहते हैं, “हम अलग-अलग अभ्यासों में हिस्सा ले रहे हैं. पिछले हफ़्ते हम नॉर्वे की सेना के साथ थे. कुछ हफ़्तों में यह समूचा युद्ध समूह साथ आएगा और हम फिर से नॉर्वे, जर्मन, चेक गणराज्य और क्रोएशिया की सेनाओं के साथ ट्रेनिंग करेंगे.”
हम लिथुआनिया में नाटो के युद्धाभ्यास पर एक ख़ास नज़र दिलाते हैं, जो कि पहले की तुलना में एक वास्तविक सैन्य ख़तरे से कहीं ज्यादा नज़दीक हो रही है.
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